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वक़्त वक़्त की बात
Hindi Poetry |
वक़्त वक़्त की बात
जो गाते थे कभी गाना “तेरी आँखों के सिवाय दुनिया में रखा क्या है”
आज वो ये गाना नहीं गा रहे हैं
घर से रोजाना पीछा करनेवाले ,आज कालेज में भी नजर नहीं आ रहे हैं
“आँखों ही आँखों में इशारा हो गया -बैठे बैठे जीने का सहारा हो गया ”
गुन्गुनानेवाला कहीं खो गया है
जबसे इन झील सी गहरी आँखों को ‘आई फ्लू ‘ हो गया है
अब तो कुछ उल्टा हो रहा है -मेरा दिल गाने को रो रहा है
“नैना बरसे रिमझिम रिमझिम पिया तोसे मिलन की आस ”
वो सुनकर भी सामने नहीं आ रहा , छिप कर बैठा होगा यहीं कहीं आस पास
———-बसंत तैलंग भोपाल
“नैनो में बदरा छाये बिजली सी चमकी हाय
ऐसे में बालम तू दववा लगाये ”
मेरी राय में प्रेमी इन हालातों में यही कहेगा .
सुन्दर हास्य बसंतजी.
अच्छी हास्य रचना, बसंत जी.
Hilarious.
अच्छा हास्य
ऐसे में गाना चाहिए. “मन की आँखे खोल बाबा मन की आँखे खोल”