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अन्धे झूले
Hindi Poetry |
उतार और ढालें
तीव्र होती है, विनम्र करती हैं
मैं अपने कुछ अंशों को एकत्रित कर रहा था
पशु-प्रकृति की शारीरिकी
पढ़ते हुए, अदृश्य अंडजनन
करते हुए
प्रतिध्वनियों के चकत्ते विक्षत करते हैं
सितारों भरी रात से पुनः रिश्ता जोड़ते हुए
मैं अपने अन्यत्व के आक्रोश को सम्भाल नहीं पा रहा था
और गोलीबारी की चिरपरिचित गन्ध
अंग भंग का सन्देश भेजने के लिये संगठित
प्रयास एक दृष्टि -भ्रम के लिये
सागरीय नाव जो गोल्डन फिश
एकत्रित कर रही थी उस का कानून
सरीसृप प्राणियों ने तोड़ दिया है
जलते घाटों के पास की सड़क
गिरती हुई सूखी पत्तियों से भर गयी है
और काले कौए अपने रक्तिम पंजों से मंडरा रहे हैं
सतीश वर्मा
एक भयावह वर्णन !!!! लाजवाब !!!