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इस जग में अगर न मां होती

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Hindi Poetry

इस जग  की हालत क्या होती
इस जग में अगर न मां होती

खुशियों के  शब्द कहाँ होते
रिश्तों की ठोर कहाँ होती
बच्चे के हठीलेपन पर भी
सब कुछ न्योछावर करती वो
वो धूप, सिकन,वो बचैनी
सब सहकर धरती पर सोती
खुश रखती अपने बालक को
चाहे  भीतर से तर  होती

ना नीर बहे उनके  नैनन
जो तुमको ढूध पिलाती है
शत बार नमन जो सुत करता
बस आशीर्वाद दिलाती है

—–अपनी मां को सौ सौ बार नमन

4 Comments

  1. Raj says:

    Good one Neeraj Ji. मगर ये जग ही कैसे होता अगर माँ न होती ?

  2. siddha Nath Singh says:

    maa par achchhi prerak panktiyaan.

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