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इस जग में अगर न मां होती
Hindi Poetry |
इस जग की हालत क्या होती
इस जग में अगर न मां होती
खुशियों के शब्द कहाँ होते
रिश्तों की ठोर कहाँ होती
बच्चे के हठीलेपन पर भी
सब कुछ न्योछावर करती वो
वो धूप, सिकन,वो बचैनी
सब सहकर धरती पर सोती
खुश रखती अपने बालक को
चाहे भीतर से तर होती
ना नीर बहे उनके नैनन
जो तुमको ढूध पिलाती है
शत बार नमन जो सुत करता
बस आशीर्वाद दिलाती है
—–अपनी मां को सौ सौ बार नमन
Good one Neeraj Ji. मगर ये जग ही कैसे होता अगर माँ न होती ?
maan ke bhautik nahi bhawnatmak swaroop ko mahsus karen sir
maa par achchhi prerak panktiyaan.
thanks