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एहसास

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Hindi Poetry

कोवा जब बोले सुबह

बैठ पेड़ की शाख पे

मानो  देता सन्देश है

शायद किसी अपने के

आज घर आने का …

बागों में जब फैला के

अपने पंख हज़ार

नाचे मोर कलगी ताने

कहता – जिस मेघ का करो

तुम इंतज़ार वह खड़ा

है द्वार तुम्हारे…

किसी उमस भरी भीगी रात

में उठ्ती दिल में हुक् कहीं

याद में उस किसी की

जो जाने चला गया कौन देश

छोड़ कर मोती नयनों में ……

कह दो उस काले कागा से –

नहीं चाहिए कोई घर में

कह दो उस नीले मयूर से –

थिरके कहीं जाकर और

उस बरसते मेघ को –

रुख अपना बदलने को कह दो …

मुझको बस खो जाने दो

उस याद में जो छिपी है दिल के

किसी कोने में कहीं जो दिलाती है

एहसास कि जिंदा अभी में भी हूँ

आज भी , अब भी…………………!!

~१९.०७.१०~

9 Comments

  1. siddhanathsingh says:

    madhur bhavon ko bakhanti sundar kavita

  2. Raj says:

    Beautifully carved emotions.

  3. Vishvnand says:

    मनभावन अहसास की अभिव्यक्ति,
    सुन्दर रचना, बधाई ….

  4. prachi sandeep singla says:

    ending kamaal kar gayi hai 🙂

  5. neeraj guru says:

    अंत तक आते-आते कविता,कविता बन जाती है.शानदार कविता.ऐसे ही लिखती रहो.

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