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कभी सोचा है .. ?

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Hindi Poetry

हर बीतता पल
कराये एहसास कि
मंजिल अब
नज़दीक है …

हर मुस्कराता लम्हा
करे पुलकित
मन को
देखे सामने उसको …

क्यूँ डरे है
बावरा यह दिल
जब मिलने को है
नए वस्त्र अब

हर्षित करता
हर पल सभी को
‘ नया ‘ चाहे
कुछ भी हो

फिर क्यूँ डरता है
झिझकता है
भाग कर उसे
छुने को ?

गले लगा कर देख
तो कभी
मिलेगा सुकून
वहीँ कहीं….

~02/07/10~

6 Comments

  1. Harish Chandra Lohumi says:

    सुन्दर रचना पारुल जी , बधाई !!!

    “क्यूँ डरे है
    बावरा यह दिल
    जब मिलने को है
    नए वस्त्र अब”

    ये पंक्तियाँ बहुत अच्छी लग रही हैं अभी मुझे …. बारिश में भीग कर आया हूँ ना !!! (Just fun !!!)

  2. U.M.Sahai says:

    मृत्यु रुपी शाश्वत सत्य को दर्शाती एक उत्तम रचना, पारुल, बधाई.

  3. Raj says:

    Good one.

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