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कभी सोचा है .. ?
Hindi Poetry |
हर बीतता पल
कराये एहसास कि
मंजिल अब
नज़दीक है …
हर मुस्कराता लम्हा
करे पुलकित
मन को
देखे सामने उसको …
क्यूँ डरे है
बावरा यह दिल
जब मिलने को है
नए वस्त्र अब
हर्षित करता
हर पल सभी को
‘ नया ‘ चाहे
कुछ भी हो
फिर क्यूँ डरता है
झिझकता है
भाग कर उसे
छुने को ?
गले लगा कर देख
तो कभी
मिलेगा सुकून
वहीँ कहीं….
~02/07/10~
सुन्दर रचना पारुल जी , बधाई !!!
“क्यूँ डरे है
बावरा यह दिल
जब मिलने को है
नए वस्त्र अब”
ये पंक्तियाँ बहुत अच्छी लग रही हैं अभी मुझे …. बारिश में भीग कर आया हूँ ना !!! (Just fun !!!)
@Harish Chandra Lohumi, thanks a lot… lekin yeh barish mein bheegne par vastra nahin milne waale.. yahan toh shareer hi naya milega.. 🙂
मृत्यु रुपी शाश्वत सत्य को दर्शाती एक उत्तम रचना, पारुल, बधाई.
@U.M.Sahai, धन्यवाद ..
Good one.
@Raj, thanks a lot..