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कैसी अजब ये रात है !!
Hindi Poetry |
इंतज़ार .
रातो से सुबहों तक का ,
और फिर किसी की आशा में रातो का .
ये रात भी बड़ी अजीब होती हे.
किसी के न होने पर होने का और
होने पर न होने का एहसास रात कराती है.
एक पल में ज़िन्दगी के पन्नो को पलट कर रख देती हे तो
दुसरे पल भविष्य का धुन्दला रास्ता दिखा देती हे .
विचारो को गतिशील पर,
काया को गतिहीन बना देती हे .
आँखों को आराम पर
दिलोदिमाग में हलचल मचा देती है .
व्यक्ति चैन को तरसे फिर भी
चैन की अवस्था में ला देती हे .
यादो को चलचित्र, पर,
वक़्त को बाँध देती हे .
भोर तक अपना होने का असर छोड़ जाती हे.
ये रात भी अजीब होती हे .
विपुल
“विचारो को गतिशील पर,
काया को गतिहीन बना देती हे”
वाह वाह ….good lines…
achchhi lagi.
बहुत सुन्दर मनभावन लगी .
कहने का खूबसूरत अंदाज़
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I like the concept. Welcome Vipul.
@Raj, thanx
आवश्यकता है – रचना और रचनाकारों की जो धूम मचा दें,रंग जमा दें, दिन को रात और रात को दिन में तब्दील करने की क्षमता रखते हों और ” कैसी अजब ये रात है !! ” जैसी रचंनों को अंजाम दे सकें…
हार्दिक बधाई !!!!
mujhe bahut hi pasand aayi,,welcm 2 p4 sir,,keep sharing 🙂