« “बारिश को गिरते हुए, देखता हूँ Wind Screen पर” | होठो में छुपी तुम, मुस्कुराहट की तरह … » |
जी करता है….
Hindi Poetry |
फैला कर बाहें, बिखरे हुए जज्बातों को समेट लूं,
जी करता है, तुम्हें अंग-अंग में लपेट लूं.
बदल दूं फाल्गुनी राग,नई मल्हार जगा दूं,
दिल की धुन में बहक-बहक कर,
तार-तार खनका दूं,
इस कदर हो जाऊं तुम पर न्यौछावर,
रग-रग में जंग भर दूं,
खुद रंग जाऊं रंग तुम्हारे,
रोम-रोम तुमको रंग दूं.
***** हरीश चन्द्र लोहुमी
बहुत सुन्दर गहन
उत्कट उत्कंठा का बयाँ
बहुत मन भाया
प्रशंसनीय.
हार्दिक बधाई
@Vishvnand, हार्दिक धन्यवाद.
itz simply simply soooooooooooo nice and touching,,cant explain but sure,,maja aa gaya 🙂
@prachi sandeep singla, Thanks a lot sir !!!
@Harish Lohumi, m nt a sir,, does my name prachi sounds like dat!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!
wahhhhhhhhhhhhhhhhhhhhhhhh
wahhhhhhhhhhhhhhhhhhhhhhhhh
kya baat hai
@Sanjay singh negi, धन्यवाद नेगी जी.
सुन्दर गहरे भाव, हरीश जी.
@Raj, घाव भी गहरे हैं सर. कमेन्ट के लिए शुक्रिया.
Kya bat hai.
@kewala Nand Lohumi, Thanks a Lot !!!
lohumi ji where are u from
Lucknow.