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तेरे पाँव पड़ूँ ओ सजना, मैं नहीं चढ़ूँगी पलना…
Hindi Poetry |
तेरे पाँव पड़ूँ ओ सजना, मैं नहीं चढ़ूँगी पलना,
पलना के इधर – उधर ही, मैं खडी रहूँगी सजना।
सजन तेरे पाँव पड़ूँ ।
मत कर तू जोरा – जोरी, नाजुक है उमरिया मोरी,
कही छल-छल छलक ना जाये, यौवन की गगरिया मोरी,
मुझे अपने ही रंग में रँग ना, मैं नहीं चढ़ूँगी पलना,
सजन तेरे पाँव पड़ूँ ।
पिया तू भी कुछ ना जाने, सब देंगे मुझको ताने,
तुझे मेरी फ़िकर नहीं है, तू तो बस अपनी जाने,
अब मान ले मेरा कहना, मैं नहीं चढ़ूँगी पलना,
सजन तेरे पाँव पड़ूँ ।
पिया मोरी एक ना माने, लगी अँखियाँ मोरी लजाने,
धक-धक करता है जियरा, क्यूँ पास गयी अनजाने,
मुझे सजना के संग ही रहना, कैसे न चढ़ूँगी पलना,
सजन तेरे पाँव पड़ूँ ।
तेरे पाँव पड़ूँ ओ सजना, मैं नहीं चढ़ूँगी पलना,
पलना के इधर – उधर ही, मैं खडी रहूँगी सजना।
सजन तेरे पाँव पड़ूँ ।
***** हरीश चन्द्र लोहुमी
palna se kya vyakt karna chahte hain samajh n paya, palne to bachchhon ka hota hai us par sajni ko kyun chadhaya jana hai?
saawan ke mahine men jhoolaa jhulaane kii koshish hai sir.
बहुत सुन्दर मनभावन रचना और प्यारा गीत.
मधुर सुहानी भावनाओं का झूला झुलाती हुई
रचना /गीत बहुत मन भाया,
“भई वाह, क्या बात है “, अपनेआप मुख से निकला ….
@Vishvnand, ” ब्रह्मवाक्य प्रासदोस्तु ” . आपके मुख से निकले प्रशंसा के ये शब्द मेरे लिए अमृत-प्रसाद के सामान हैं विश्व नन्द जी, हार्दिक धन्यवाद आपका !!!
@Harish Chandra Lohumi,
” ब्रह्मवाक्य प्रसादोस्तु. ” . आपके मुख से निकले प्रशंसा के ये शब्द मेरे लिए अमृत-प्रसाद के सामान हैं विश्व नन्द जी, हार्दिक धन्यवाद आपका !!!
Good one in the season, liked it-badhaaee
@sushil sarna,
धन्यवाद आपका सरना साहब. वैसे हम भी आपकी रचनाओं के कायल कम नहीं हैं.