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पापा जी डरते हैं

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Hindi Poetry

कहो यार कैसे हो ? कैसी कटती है
अपने घर वालों से तेरी कैसी  पटती है
पापा क्या अब भी तेरी जेब भरते हैं
और तेरी मम्मी से अब भी डरते हैं

वो पीपल का पेड़ अब भी प्यारा लगता है
मुर्गे की आवाज सुन तू  अब भी जगता है
गुरु जी हाथ में  डंडा सपनो में दीखता  था
प्यार का हथोडा क्या अब भी लगता है

नहीं नहीं ये मंजर तो पुराना हो गया
इमारतों के झुरमुट में वो पीपल खो गया
घड़ियों की टिक टिक से  सारा जीवन बदल गया
इज्जत न समझी तो मुर्गा  गूंगा हो गया

पापा जी रिटायर हो गए मम्मी जाती हैं
पापाजी से तनखा लेकर दुगुनी आती है
अपने  तो पॉकेट  भैया ऐसे ही भरते  है
मम्मीजी  से आज भी  मगर  पापाजी डरते हैं

5 Comments

  1. c.k.goswami says:

    पापाजी डरते हैं ,यही सफलता का राज है
    गृहस्थी अच्छी चल रही,इसी कारण आज है
    जहाँ मम्मी पापा लड़ते हैं,उन्हें उजड़ते देखा है
    एक डरे ,दूजा डराए यही नियति का लेखा है
    दोनों इक दूजे से डरे मगर अपन नहीं डरेगा
    मम्मी डरे या पापा ,अपना जेब यूँ ही भरेगा

  2. Vishvnand says:

    आजकल के छोटे बच्चे जब चाहे मम्मी को और जब चाहे पप्पा को डराना बखूबी से जानते हैं , TV जो है उन्हें सब सिखाने ….

  3. Raj says:

    Good one.

  4. U.M.Sahai says:

    ghar-ghar ki kahani.

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