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बदलाव!
Hindi Poetry |
सुबह से रात तक
रात से सुबह तक
कुछ भी ना रहा कोरा,
वक़्त ने सब कुछ बदल दिया!
कल तक जो रो रहा
जाने, कौन सी बात पर आज हँस पड़ा
कुम्हार की मिटटी ने भी
चोला अपना बदल दिया!
बूंदों जैसी नन्ही कली
फूल बन आज ढल चली
तड़पती धूप भी आज
बिजली की तलवार से छली!
खेतों की कच्ची पगडंडियाँ आज
कारखानों की ऊंची दीवार बनी
खुला वातावरण लगा अब घिरने
सिकुड़ते जा रहे है झरने!
दिलो की दूरियों के ताले
समय की मार से लगे है सड़ने
दोस्ती की उगती झलक
बरसो की गहरी दुश्मनी में मिली!
बदलाव ही अच्छाई और बुराई
जो भर देती है हर खाई
सोचने से करने तक
करने से होने तक
बदलाव ही है अमिट सच्चाई!
बहुत सुन्दर रचना,
अर्थपूर्ण और बहुत सुहानी
हार्दिक बधाई
पढ़कर ख़याल आया,
बदलाव के सच माइने तो शायद हैं ” अच्छे बदल लाव ”
मगर आज के बदलाव का लगता अर्थ है, “बुरे और अनैतिक काम करने के लिए बदल जाव “. 🙂
@Vishvnand,
shukriya sir!
सही कहा है रचना, बदलाव ही जिंदगी की सच्चाई है.
@U.M.Sahai,
shukriya sir!
Very nice…… 🙂
@Ravi Rajbhar,
thanks ravi!
मजबूत शब्दों से सजी हुई एक अच्छी रचना
@THE LAST HINDU,
glad u liked! thanks
agreed wid vijay’s comment fully 🙂
Good one.