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मेरी नासमझ समझ ….!
Hindi Poetry |
उन्होंने कहा ” बड़ी अजीब बात है, इतनी सी बात है और तुम नहीं समझते”
इसी मेरी नासमझ समझ की यह रचना समझिये…
मेरी नासमझ समझ ….!
तुम मत समझो ना समझा हूँ,
समझ के सब ना समझ सका हूँ,
समझ में जब आता है सबकुछ,
लगता कुछ भी ना समझा हूँ ….
इतनी उलझी समझ है मेरी,
सुलझन में उलझा रहता हूँ
जब मैं कुछ सुलझाने जाऊं,
उलझ उलझ कर रह जाता हूँ …
समझ न मुझको ये आया है
समझ गए सब समझते कैसे
और समझ में सब आया है
बिन समझे ये कहते कैसे
इसीलिए समझा ये रहा हूँ
मेरी समझ नासमझ ही समझो ,
ये कुछ थोड़ा मै समझा हूँ,
इसी समझ का भ्रम जीने दो ….
” विश्व नन्द “
सर जी नमश्कार,
फिर आपकी समझ के सामने मेरी समझ के पसीने निकले हैं
वाह क्या अंदाज़ हैं आपके काश मैं आपके शहर में होता में आपको अपना गुरु बना लेता….
वैसे भी में आपको अपना गुरु ही समझता हूँ,
@shakeel ji
देर आये हो दुरुस्त आये हो खुशिया लाये हो नयी नज्मे भी लाये हो ना.
कमेन्ट के लिए तहे दिल से शुक्रिया …
ये नासमझ आपकी गलतफहमी को समझ रहा है और इसे सच समझ बहुत खुश है..
समझ समझ की बात है विश्व नन्द जी. कई नासमझ अपने को हद से ज्यादा समझदार होने का दावा करते हैं और समझदार हमेशा ये ही समझते हैं की उन्हें अभी काफी कुछ और समझना है 🙂
@Raj
खूबसूरत कमेन्ट के लिए हार्दिक शुक्रिया.
आपका कमेन्ट समझ में आ गया पर अब तक ये समझ न आया की मैं समझदार हूँ या नासमझ. फिर भी इसे और खुद को समझने की कोशिश जारी है,