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मेरे एहसासों की इन्तिहाँ का बसेरा है अब उस बाम पर,,
Hindi Poetry |
रोज रात को पलकों पे आकर जम जाते है तुम्हारे नाम के आंसू,,
जिन्हें सिन्दूर बनाकर मैं हर सुबह माथे पर सजा लेती हूँ…
मेरे एहसासों की इन्तिहाँ का बसेरा है अब उस बाम पर,,
जहाँ लिबास मेरा शरीर पर अन्दर मैं तुम्हारी रूह को जगह देती हूँ…
तुम्हारी साँसों,तुम्हारे स्पर्श की खुशबू ऐसे लिपटी है बदन से,,
याद की बरखा आने पर जिसे महसूस कर रूमानियत का मजा लेती हूँ…
तुम्हारे जाने के बाद बेशक सब है खाली-खाली सा यहाँ,
तुम्हे बस हाजिर जानकर वहां, यहाँ खुद को जीने की वजह देती हूँ…
लोग खुदा को इश्क कहते हैं,,मैंने इश्क को खुदा माना,,
और इसीलिए सर आँखों पर सदा तुम्हारी हर रज़ा लेती हूँ…
एक बहुत अच्छी, रूमानियत भरी कविता, प्राची, बधाई. साथ ही कविताओं का शतक लगाने पर भी हार्दिक बधाई. Keep writing and sharing.
@U.M.Sahai, thanx a ton sir,,ur comments encourages me a lot 🙂 stay connected
achchhi rachna, इन्तिहाँ के स्थान पर इन्तहा और सांसों के स्थान पर सांसें होना चाहिए.
@siddhanathsingh, thanx and sure,,i will edit dat 🙂
Intense beautiful feelings
Very elegantly expressed.
Liked immensely
And yes, Very hearty congrats for the century of classic entertaining poems.
@Vishvnand, thanx a ton sir ji 🙂
“तो दिल ने हमेशा ही इंसान को सही रास्ता दिखाया है,,
दिल की मानने वाले दुनिया में बहुत कम शख्स है,”
बधाई प्राची जी !!!!!
@Harish Lohumi, शुक्रिया हरीश जी 🙂 पर आपने जो पंक्तियाँ यहाँ paste की है,,वो मेरी इस रचना की नहीं है अपितु मेरी ही किसी और रचना की है…मेरी पुरानी कविताओं पर भी नजर डालने के लिए हार्दिक आभार 🙂