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“राम दुहाई “
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“वो सामने से गुजरते हे तो नज़रों को झुकाये चलते हैं।
हम भी हमारी निगाहों मै तस्वीर बनाये रखते हैं।
उनको आके इज़हार करना हे तो राम दुहाई देता हुं।
देखेने नहीं दूंगा किसी को पलकों मै छुपा लेता हुं।”
“हो ना जाये कहीं उनसे मुलाकात।
इस लिये हम दूर रहा करते हैं।
ना जाने क्या बात थी वो यादो मै।
अब आँख मै से आंसू निकला करते हैं।”
kavita ukhdi ukhadi si lagi maza nahi aaya bhai.
@siddha Nath Singh, ha sar aap ne such kaha ye dil me hota he vo hotho pe aata he lekin use word me me use nahi kar sakta esa kese kiya ja sakta he aap bata sakte he mere aadraniy sahib aap ke charno me kishan ka pranaam
प्रयास करते रहिये सब संभव है.
आपको अगर शायरी सीखने का शौक है तो कई दिनों तक आप सिद्ध नाथ सिंघजी की शायरी पढ़ें,सहायजी और सुशील सरनजी की रचनाओं को पढ़ें,उर्दू का ज्ञान बढेगा तब ही आपके प्रयास सफल हो पा सकेंगे. सीखने की लगन है आपमें, कामयाबी मिलेगी.
मन में आये विचारों को आप सही तरह से प्रस्तुत नहीं करपा रहे हैं