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हमारी दोस्ती

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Hindi Poetry

चाँद ने कभी तो धरा की चाहत की होगी
चाँद से मिलने को कभी तो लहरें उठी होंगी
मेरी दोस्ती में है इतना दम की अगर
जिन्दगी रही तो, साँसे हमारी रूबरू भी होंगी

इस दोस्ती के लिए दुवा तो तुमने कभी की होगी
दिल ने तुम्हारे कभी तो हमारी सुद ली होगी
इतने प्यार से दोस्ती की है खुदा की कसम
कभी ना कभी किसी मोड़ पर मुलाकात भी होगी

भुलाने की कभी हमें तुमने कोशिस तो की होगी
इन लम्हों को मिटाने की कभी आरजू तो हुवी होगी
तम्मना बस करते रहना मिलने की
कभी ना कभी तो ये मुराद दिल की पूरी होगी

महक दोस्ती की इश्क से कभी भी कम ना होगी
दोस्ती हमारी कभी भी जन्नत से कम ना होगी
बस तुम इस नाजुक दिल का ख्याल रखना
क्यूंकि इस दिल में तस्वीर तुम्हारी ही बसी होगी

7 Comments

  1. U.M.Sahai says:

    अच्छी ग़ज़ल, संजय, बधाई. अंतिम दो लाईने काफी पसंद आयीं.

  2. Harish Lohumi says:

    वाह संजय जी,
    जेहन में बहुत कुछ है आपके, पर बयां करने में कंजूसी जरूर है,
    ग़ज़लों में तो शब्द ही बयाँ हैं, पर दिल में कुछ न कुछ जरूर है.

    बधाई !!!!!

  3. Vishvnand says:

    रचना अच्छी लगी
    अच्छा प्रयास, मन भाया

    “इस दोस्ती के लिए दुवा तो तुमने कभी की होगी
    दिल ने तुम्हारे कभी तो हमारी सुध ली होगी
    इतने प्यार से दोस्ती की है कि खुदा कसम
    कभी ना कभी किसी मोड़ पर मुलाकात भी होगी” … सन्दर्भ में सुन्दर भावों की पंक्तियाँ….

  4. Raj says:

    सुन्दर भाव.

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