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हमारी दोस्ती
Hindi Poetry |
चाँद ने कभी तो धरा की चाहत की होगी
चाँद से मिलने को कभी तो लहरें उठी होंगी
मेरी दोस्ती में है इतना दम की अगर
जिन्दगी रही तो, साँसे हमारी रूबरू भी होंगी
इस दोस्ती के लिए दुवा तो तुमने कभी की होगी
दिल ने तुम्हारे कभी तो हमारी सुद ली होगी
इतने प्यार से दोस्ती की है खुदा की कसम
कभी ना कभी किसी मोड़ पर मुलाकात भी होगी
भुलाने की कभी हमें तुमने कोशिस तो की होगी
इन लम्हों को मिटाने की कभी आरजू तो हुवी होगी
तम्मना बस करते रहना मिलने की
कभी ना कभी तो ये मुराद दिल की पूरी होगी
महक दोस्ती की इश्क से कभी भी कम ना होगी
दोस्ती हमारी कभी भी जन्नत से कम ना होगी
बस तुम इस नाजुक दिल का ख्याल रखना
क्यूंकि इस दिल में तस्वीर तुम्हारी ही बसी होगी
अच्छी ग़ज़ल, संजय, बधाई. अंतिम दो लाईने काफी पसंद आयीं.
@U.M.Sahai, thnkyu sir ji
वाह संजय जी,
जेहन में बहुत कुछ है आपके, पर बयां करने में कंजूसी जरूर है,
ग़ज़लों में तो शब्द ही बयाँ हैं, पर दिल में कुछ न कुछ जरूर है.
बधाई !!!!!
@Harish Lohumi,
@Harish Lohumi, Harish lohumi
ji bahut bahut dyanvaad
रचना अच्छी लगी
अच्छा प्रयास, मन भाया
“इस दोस्ती के लिए दुवा तो तुमने कभी की होगी
दिल ने तुम्हारे कभी तो हमारी सुध ली होगी
इतने प्यार से दोस्ती की है कि खुदा कसम
कभी ना कभी किसी मोड़ पर मुलाकात भी होगी” … सन्दर्भ में सुन्दर भावों की पंक्तियाँ….
सुन्दर भाव.