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***हुण आ गया सावन …(punjabi poem)***
Punjabi Poetry |
प्रिय पाठको, आपके सम्मुख एक बार फिर एक पंजाबी रचना प्रस्तुत करने का साहस कर रहा हूँ, उम्मीद है पसंद आयेगी
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अम्बराँ विच चमकदी बिजली, देंदी सौ सौ वाजाँ
हुण आ गया सावन ओ जोगी तूं घर आ जा
इक ताँ अग लगावन बूँदां दूजियाँ तेरियां यादाँ
हुण आ गया सावन ओ जोगी तूं घर आ जा
मेनू नींद न आवे, सारी रात सतावे
मैं होके भरदी, तैनू तरस न आवे
झूठे सारे संदेसे तेरे, कैंदियाँ मेरियां बावाँ
हुण आ गया सावन ओ जोगी तूं घर आ जा
हुण आ गया सावन ओ जोगी तूं घर आ जा…..
मेरी पीड़ न जाने, करे सौ बहाने
नैणां नूँ दे गया, ह्न्जुँआँ दे गेणे
गिलियां रावां ते मैं चल के रांझे नूँ बुलावां
हुण आ गया सावन ओ जोगी तूं घर आ जा
हुण आ गया सावन ओ जोगी तूं घर आ जा…..
सुशील सरना
Lovely ! Enjoyed reading
@renu rakheja,
Thanx Renu jee for your so nice appreciation
बहुत सुन्दर सुशील जी,
@Raj,
Lot of thanx for appreciaton Raj jee
पंजाबी है, पढ़ तो लिया,
कुछ कुछ समझ भी आया,
पूरा न समझ पाया,
फिर भी “क्या बात है”
“बड़ा मज़ा आया” .
दिल ने जरूर फ़र्माया…
@Vishvnand,
इस सुंदर और मनभावन प्रतिक्रिया का हार्दिक शुक्रिया-मैं कोशिश करूंगा इसको हिन्दी में भेजने की- फिर भी आपने इस भाषा को समझ कर अपनी प्रतिक्रिया भेजी,
शुक्रिया सर जी
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Very nice Sarna ji! This reads like a song, very lyrical. Why don’t you podcast it? बड़ा मज़ा आया जी एह गीत पढके!
@parminder,
आपकी इस मनभावन प्रतिक्रिया का हार्दिक धन्यवाद परमिन्द्र जी, बस मैं पोडकास्ट में अटका हूँ जल्दी ही ये फरमाईश भी पूरी करूंगा धन्वाद