« खामोश रंग | *****सब जानतें हैं***** » |
अच्छा सफ़र था, पीर मिले ,देवता मिले
Hindi Poetry |
अच्छा सफ़र था, पीर मिले ,देवता मिले
हसरत ही रह गयी कोई इन्सां खरा मिले
अपनी नज़र ही जान न पाई उन्हें कभी,
वो दौरे ज़िन्दगी में कई मर्तबा मिले.
क्यों सब अलस्सुबह ही गए रूठ शाख से alssubah-subah subah
बिखरे चमन में फूल सभी जा ब जा मिले.
अब क्या बताएं क्या है कशिश यार में भला,
जब भी कोई निगाह उठे, उससे जा मिले.
मिलते हैं बेरुखी से, मिलें जिस किसी से आप,
फिर क्या करेंगे आप अगर आईना मिले.
सुकरातो ईसा किसने नहीं मुश्किलें सहीं,
जलते ही हर चिराग, मुखालिफ हवा मिले.
अच्छी हैं होशियारियाँ छतनार छाँव से,
याँ जो बुलंद पेड़ मिले, खोखला मिले.
अपने सिवा दिखाई हमें और कुछ न दे,
या रब, नज़र का तंग न यूँ दायरा मिले.
राहत फिशां के नाम से मकबूल थे कई, raahat fishaan-raahat denevale
उनसे भी, हमको रंज बराबर सिवा मिले. siva- zyada
अच्छा अदल है, सारे गुनहगार हैं बरी.
निकले जो बेकुसूर उन्हीं को सज़ा मिले.
bhut achha andaz aap ka sir…jay shree krishna
@kishan, thanks kishan ji. aap dil se duayen dete hain bhagvan ke naam par ya apne ye pata nahin.
सारे सफ़र ही संग थी परदानशीनगी,
हम तो चले थे सोच कोई अप्सरा मिले,
बहुत अच्छी नज़्म एस एन साहब्…। बनी रहे !!!!!!
@Harish Chandra Lohumi, gazal ki taareef karne ke liye aabhar.
bhut sundr gjl, sir bura n maane first sher kee second line men khara kee jgh khare hota to shaayd theek hota vaise aap rchnakar hai adhik achha smjhte hain, is gjl ke liye badhaaee sir jee
@sushil sarna, shukriya sarna sahab, maine doosari line badal di hai ab shayad aap ko santoshprad lage, vaise bhi qaafia aur radeef ki bandish khara ko khare likhne ki izazat nahin deti.
वाह खूबसूरत अंदाज़ के बढ़िया शेर
मज़ा आया.
हार्दिक बधाई जनाब
ये कैसी है महफ़िल यहाँ ये कैसा सिलसिला
कुछ देर बाद जाते बिछुड़ जिनसे जा मिले …
@Vishvnand, shukriya vishv ji
great one 🙂 पहली दो पंक्तियाँ तो माशाअल्लाह है 🙂
@prachi sandeep singla, thanks prachi.