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“””एक प्रसंग”””

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Hindi Poetry

कालचक्र की वक्रता

एक ही दुल्हारा पुत्र सरहद पें  गूम   हों जाना

पुत्र के विरह मैं एक माँ का मर जाना

पति के विरह मैं एक पत्नी का आत्महत्या कर देंना

उसके पिताजी का ६० मैं वर्ष मैं प्रवेश होना

प्रसंग था ख़ुशी का लेकिन कोई मनानें वाला पास नहीं था

सुन्दर आलिशान मकान मैं सन्नाटा था

बिहारीलाल का   असह्य वेदना मैं खोकर बैठना

कुछ पल याद कर रहे थे जो ५९ के जन्मदिन सें जुड़े थे 

तब ही १० बजे दरवाजा की डोर बेल बजना

तब बिहारीलाल का धीरे से सोफा में से उदास पैर उठकर दरवाजा खोलना

और ख़ुशी के साथ झुम उठना ……….

दरवाजा और घर के बिच मैं ही हर्ष के आँसू से चहेरा खिल जाना

दरवाजा के सामने कोई और नहीं उसका पुत्र सत्यम था ..

 

“किशन”

 

One Comment

  1. siddha Nath Singh says:

    kya yah satya ghatna hai?

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