« भीड़ और वह | चाँद और मैं! » |
कठिन जीवन की डगर!
Hindi Poetry |
हमारे जीवन की डगर
बड़ी ही कठिन है
पानी के मोल
पसीना बहता जाए
हाय, हाथ फिर भी कुछ ना आये!
सफलता आसमानों पर टंगी है
इस ना ख़तम होती दौड़ में
भागने के लिए, अब जान भी कहाँ बची है!
जो मुश्किल से आगे बढ़ने का साहस जब दिखाया
पीछे वाले का पैर अपने सर के ऊपर पाया
ऐसी स्थिति है की रात तो रात
दिन में भी तारों को आँखों के सामने ही पाया!
तकलीफ भरी इस जीवन में
चैन से लेने की घड़िया भी कहाँ है
एक के बाद एक
अपेक्षाओ के मोह जाल में मन फसा है!
पानी के मोल
पसीना बहता जाए
हाय, हाथ फिर भी कुछ ना आये!
अच्छा अंदाज़ !!! रचना जी ..जय श्री कृष्ण …:)
@kishan,
thanks Kishan!
अच्छी रचना, पर स्तिथि की जगह स्थिति होना चाहिए था.
@U.M.Sahai,
corrected! thanks!
i wanted it 2 b more long dear !!ending cud hv been more better,,as a reader i feel so !!
@prachi sandeep singla,
thanks for your comment Prachi…your view appreciated, will take care next time!