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कठिन जीवन की डगर!

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Hindi Poetry

हमारे जीवन की डगर
बड़ी ही कठिन है
पानी के मोल
पसीना बहता जाए
हाय, हाथ फिर भी कुछ ना आये!

सफलता आसमानों पर टंगी है
इस ना ख़तम होती दौड़ में
भागने के लिए, अब जान भी कहाँ बची है!

जो मुश्किल से आगे बढ़ने का साहस जब दिखाया
पीछे वाले का पैर अपने सर के ऊपर पाया
ऐसी स्थिति है की रात तो रात
दिन में भी तारों को आँखों के सामने ही पाया!

तकलीफ भरी इस जीवन में
चैन से लेने की घड़िया भी कहाँ है
एक के बाद एक
अपेक्षाओ के मोह जाल में मन फसा है!

पानी के मोल
पसीना बहता जाए
हाय, हाथ फिर भी कुछ ना आये!

6 Comments

  1. kishan says:

    अच्छा अंदाज़ !!! रचना जी ..जय श्री कृष्ण …:)

  2. U.M.Sahai says:

    अच्छी रचना, पर स्तिथि की जगह स्थिति होना चाहिए था.

  3. prachi sandeep singla says:

    i wanted it 2 b more long dear !!ending cud hv been more better,,as a reader i feel so !!

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