“कब मिलेगी आजादी?”
आजादी, आजादी करते करते बीत गये चौंसठ साल,
पर गुलामी तले पहन चले हम आजादी की खाल.
दो दशक बीत गये आजादी को पाने में,
लाखों वीर हुए शहीद अंग्रेजों को भगाने में.
आजाद हुए गैरों से ,फिर भी अपनों के हुए गुलाम,
भ्रष्ट नेताओं की भ्रष्ट राजनीति से देश हुआ हलाल.
कहाँ गये वह चाचा नेहरु,कहाँ गये वह गाँधीजी,
मरदानी वह झाँसी की, कुरबानी वह भगसिंह की,
इन भ्रष्ट नेताओं ने किया कलंकित देश की आजादी.
घोटाले कर कर देश की शांती घोंट गये,
लाकरों को भर भर देश की जनता का धन लूट गये.
ऊँच-नीच का भेद बढा जात-पात को दिया बढावा,
महँगाई को बढा-चढा हर नागरिक को गरीब किया,
लाचार, बेबस कर उन्हें आत्महत्या पर विवश किया.
वोट की खातिर झोपडों में आकर ठहर रहे,
गरीब दुखिया न जाने क्या होती है आजादी,
बरसों मिली इस चिडिया का नाम गाँव भी पता नहीं,
दो वक्त की पेटभर रोटी क्यों उन्हें नसीब नहीं?
बिलखते भूखे बच्चों की सिसकियां पूछ रहीं,
मिलेगी कब हमें रोटी, मिलेगी कब हमें आजादी?
मरेगी कब डायन महँगाई, सुधरेगी कब देश की राजनीति,
आखिर मिलेगी कब हमें सही मायनों में आजादी……
राजश्री राजभर……
Related
Bahut acha Andaz manbhavan Andaz…Acha laga..Raj shree ji
Thank u so much kishanji.
बहुत अच्छा विचार….अच्छा प्रहार शब्दों के बाणों से…
सवाल है उन देश के नेताओ से क्या अभी भी हम आज़ाद हुए है ?
” अपराध बढ़ता जा रहा है |
नेता जेबे भरता जा रहा है |
अमीर और अमीर हो गया है |
गरीब और गरीब होता जा रहा है |”
thanx alot sir for supporting n encouraging me.
meri rai me satya ko seedha seedha kah dene bhar se uski prabhavotpadakta maddhim pad jati hai. kavita ka saundary hi yah hai ki baat kahi bhi jaye aur uska sandarbh kahi hui baat se kahin adhik vyapak aur arth dhvaniyan liye hue pathak ke man me visfot kare. sochiyega.
jarur sir aapke vichar uttam hai.Thanx for ur best comment.
उत्तम रचना, राजश्री जी. बधाई.
thank u sir for ur best comment
अच्छा चित्रण! कितने दुःख की बात है की हमने इतनी मुश्किलों से मिली आज़ादी का मूल्य नहीं जाना|
Thank u so much Parminderji for ur best comment.