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”चार लाइनें”–२७

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Hindi Poetry
            
            आज के ज़माने में किसी को प्यार की कद्र कहाँ है,
             हर किसी  का अपना ही एक मस्त जहाँ है,
             अपनी ही दुनिया में इस कदर खोया है हर इंसान,
             कि दिलों में प्यार के पनपने की जगह  ही कहाँ है…!!! 
 
 
 
 
 
 

16 Comments

  1. renu rakheja says:

    एक ही इश्क है ,एक ही मोहब्बत है
    स्वयं ही वर है; स्वयं ही जहां है

    सही कहा ,आपने

  2. Vishvnand says:

    सुन्दर कथन
    बात तो बिलकुल सही है
    आज इंसान को सिर्फ व्यवहार से प्यार है ….

  3. rajdeep bhattacharya says:

    sach kaha
    sundar kaha
    man bha liya
    dil jhoom utha
    loved it

  4. siddha Nath Singh says:

    आप की सुन्दर कविता ने फैज़ अहमद फैज़ की लाईनें याद दिला दीं-
    और भी दुःख हैं ज़माने में मुहब्बत के सिवा
    राहतें और भी हैं वस्ल की राहत के सिवा.
    और साहिर लुधियानवी की लाईने –
    ज़िन्दगी सिर्फ मुहब्बत नहीं कुछ और भी है
    ज़ुल्फो रुखसार की जन्नत नहीं कुछ और भी है,
    भूख और प्यास की मारी हुई इस दुनिया में,
    इश्क ही एक हकीकत नहीं कुछ और भी है.

  5. pabitraprem says:

    क्या कहूं ? सोचना पड़ेगा.

  6. U.M.Sahai says:

    बहुत सुंदर भाव व लाइने, प्राची बधाई, पर इसका दूसरा पहलू भी है:
    अपनी दुनिया में खोया ज़रूर है इंसान
    पर वो प्यार का भूखा है
    मिलता है प्यार उसे जहाँ
    वह वहीँ पर जाता है
    इसीलिए अपने प्यार पर
    वह अपना सब कुछ लुटाता है.

  7. Ravi Rajbhar says:

    very nice… 🙂

  8. Raj says:

    Rightly said.

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