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छोटी सी बूँद की यात्रा!

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Hindi Poetry

छोटी सी बूँद आज चली
घर छोड़ बादल का
चुप चाप आगे बढ़ी!

एक अंश अपना सागर में मिला
सीप की मोती बनी!
एक अंश अपने पत्तो पर गिरा
जीवन का पर्याय सजी!
एक अंश धरती में मिली
खुशबू का संचार करती!
एक अंश नदियों में मिली
अमृत की धरा प्रवाह बन चली!

छोटी सी बूँद आज चली
बादल पिता का घर छोड़
धरती माँ की गोद के मिलन को चली!

10 Comments

  1. Santosh says:

    bahut khubsurat panktiya likhi hai aapne!

  2. vpshukla says:

    बहुत सुन्दर कल्पना और बहुत सुन्दर अभिब्यक्ति !बधाई !

  3. Harish Chandra Lohumi says:

    Ek Ansh is dil pe giraa,
    Dil ko amrit pilaa gayaa.

    Haardik Badhaaii !!!

  4. kishan says:

    छोटी सी बूँद आज चली
    बादल पिता का घर छोड़
    धरती माँ की गोद के मिलन को चली!
    ऐसा लगा की कोई बेटी अपने बाप के यहाँ से बिदा हो रही हों ….बहुत ही मन भावन …… जय श्री कृष्ण

  5. Tushar Mandge says:

    nice poem…

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