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तीन त्रिवेणी- 9!
Hindi Poetry |
1. तुम्हारी दोस्ती है या जंजाल
जितना निकलना चाहती हूँ
उतना गहराती चली जाती हूँ!
2. आईने के सामने आईना रख दो तो
सामने की सच्चाई दिख जाती है
शायद, इसलिए तुम मेरे आगे चलते हो!
3. बिखरे पन्ने, लड़खड़ाते कदम
जब साथ में मिले तो
दोस्ती के मायने ही बदल गए!
The poem expresses beautiful expression for friendship. liked very much!
@Santosh,
thanks!
aap ki triveniya muje bahut achi lagi !!!!