« उदास यादों के झुरमुटों में वो झिलमिलाता शमा सा चेहरा . | मेरी, सुनो…! » |
तुम ही कहो कि उससे कोई जा के क्या मिले
Hindi Poetry |
अच्छा सफ़र था, पीर मिले ,देवता मिले
हसरत ही रह गयी कोई इन्सां खरा मिले
जिसने पिया खुमार न उतरा तमाम उम्र
उसकी निगाहे मस्त में ऐसा नशा मिले .
लब मुस्कुरा रहे हों नज़र हो बुझी हुई
तुम ही कहो कि उससे कोई जा के क्या मिले.
जीने की एक भरम में है आदत अजब उसे
वो चाहता नहीं कि उसे आईना मिले.
सभी शेर अच्छे हैं,एस.एन.
@U.M.Sahai, shukriya is hausala afzaayi ke liye sir.
बहुत खूब बहुत सुन्दर सारे शेर
हार्दिक बधाई
पर इक शेर के बारे में मुझे ऐसा लगा
“लब मुस्कुरा रहे हों नज़र हो बुझी हुई”
तब उनसे मिलो, न कहोगे उनसे क्या मिले….
@Vishvnand, thanks a lot vishv ji.
तुम ही कहो कि उससे कोई जा के क्या मिले….इशके जगह आप सर ये लिखते तो केसा रहेता …
लब मुस्कुरा रहे हों नज़र हो बुझी हुई
तुम ही कहो कि ये नज़ारे किस तरह मिले …आप की रचना भुत अच्छी हैं
Sweet , short and meaningful.