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देर से आये मेघ!
Hindi Poetry |
सजीले, गरजते और सवरते आये है मेघ
टकटकी लगा के बैठे राह जिनकी
छोड़-छाड़ के अपनी शैय्या और सेज!
क्यूँ हठीले, तुमने देर लगाई
कब से तरस रही थी धरती की तरुनाई
अब कहना मत, क्यूँ मुह फुलाए बैठी है
छेड़ना ना, यह तो बड़ी हठी है!
जो आये हो अबकी बार
वादा करते जाओ लगे हाथ
देर ना लगाना अगली बार
भर जाओगे अमृत रस की बहार!
a beautiful poem!
nice one rachnaji!!!!!!! jay shree krishna ….
@kishan,
shukriya…jai shri krishna!
खूबसूरत अंदाज़ .
बहुत मन भाया
@Vishvnand,
dhnyavaad sir…
अच्छी कविता, रचना.
nice gr8
@ragi_mheta,
thank you!
megh keval aaye yaa barase bhii ?
lahataa hai….chupke se baras gaye honge !!!!
Badhaaii !!!!!
@Harish Chandra Lohumi,
thanks for commenting!
सबके कमेन्ट्स के उत्तर दिया कीजिये वरना ये बादल नाराज हो जायेंगे
@dp,
sabko diya hai..kuch automated system ki wajah se yeh self delete ho jaate hai shayad..thanks for commenting!