« »

बेटियाँ!

0 votes, average: 0.00 out of 50 votes, average: 0.00 out of 50 votes, average: 0.00 out of 50 votes, average: 0.00 out of 50 votes, average: 0.00 out of 5
Loading...
Hindi Poetry

बेटियाँ!
उजड़े घर की दीवार पर रखे टिमटिमाते दीप
की रौशनी में भरी उम्मीद है
मन का सूनापन दूर करती है!

बेटियाँ!
मनोहर माला में गुथे धागे
की ताक़त है
माला में पिरोये मोतियों को समेट लेती है!

बेटियाँ!
बागो में विचरते पंछियो का
मीठा कलरव है!
जिसकी धुन, शब्द बन कर, मन भरमाती है!

बेटियाँ!
बरसात के मौसम में झरती
नर्म और स्वच्छ बूँदें है!
मन की गहराई नाप आती है!

बेटियाँ!
पानी में घुले रंगों का
समावेश है!
उन्छूए मन को छू जाती है!

बेटियाँ!
मिटटी में रोपे हुए बीज
में छुपा सपना है
पल-पल आँखों में बढ़ता सच दिखाती है!

बेटियाँ!
बीते हुए कल का सार
आज का सच और,
आने वाले कल का परिवार है!

6 Comments

  1. Santosh says:

    sundar bhavo ki safal abhivyakti hai!

  2. Harish Chandra Lohumi says:

    achhi lagi

  3. kishan says:

    बेटियाँ!
    बीते हुए कल का सार
    आज का सच और,
    आने वाले कल का परिवार है!,, बहुत अच्छा अंदाज़ रचनाजी …जय श्री कृष्ण

  4. Tushar Mandge says:

    रचना जी ….बहुत अच्छी कविता…..

  5. parminder says:

    कितना प्यारा वर्णन है बेटियों का! काश, सब ऐसा सोचते!

  6. vibha mishra says:

    aapki kavita man ko abhibhut ker gayi ………bahut hi sunder likha hai aapne

Leave a Reply