« Mother Nature | It Rained that day! » |
भुलाने में तुझको ज़माने लगेंगे.
Hindi Poetry |
भुलाने में तुझको ज़माने लगेंगे.
ज़माने भी कितने न जाने लगेंगे.
न देखें जुनूखेज़ तिरछी नज़र से
दिलो जाँ मेरे झनझनाने लगेंगे.
शबे वस्ल होगी यूँही मुख़्तसर ये
अगर हाले दिल हम सुनाने लगेंगे.
न समझें महज़ खेल है दिल लगाना,
कई दर्दे सर सर उठाने लगेंगे.
अभी तो फ़क़त इब्तिदा इश्क की है,
अभी सारे मौसम सुहाने लगेंगे.
न झिझकें, चमन में कदम भर तो रक्खें,
अभी फूल सब मुस्कुराने लगेंगे.
न समझे जो उनकी नज़र का इशारा,
तो आशिक हज़ारों ठिकाने लगेंगे.
मुजस्सिम ग़ज़ल है मेरी जाने जानां.
जो देखेंगे, सब गुनगुनाने लगेंगे.
नयापन तेरे हुस्न में हर घडी है,
सतायिश के सब ढब पुराने लगेंगे. satayish-taareef
मिलेगी न हरगिज़ कोई कामयाबी,
वो गर हुस्न अपना छुपाने लगेंगे.
बिखरने तो दीजे ज़रा जुल्फे जानां,
अभी अब्र आँखें बचाने लगेंगे. abr-baadal
हमें एक मौका तो दे जाने-जाना,
कि हम भी तुम्हारे दीवाने लगेंगे ।
वाह एस एन साहब ! मस्त गज़ल्…एक लाजवाब गज़ल !!!!!
हार्दिक बधाई !!!!
@Harish Chandra Lohumi, Thanks harish ji
बहुत ही खूब ,लाजवाब !हर शेर बहुत ही सुन्दर !बधाई सिंह साहेब !
@vpshukla, dhanyvad shukla sahab
वाह उस्ताद वाह. लेकिन ये मुख्सर होता है या मुख़्तसर जरा स्पष्ट करें तो शुक्रगुजार होऊंगा
@chandan, shukriya, mukhtasar hi hai galti se mukhsar chala gata theek karunga.