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” मेरा देश ( तब से अब तक ) “

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Aug 2010 Contest, Hindi Poetry

 ” मेरा देश ( तब से अब तक ) “

 

सोने की चिड़िया था कभी ,

उन्मुक्त हवाओं का था बसेरा ,

नारी की जहाँ होती थी पूजा ,

ऐसी पावन भूमि का देश था मेरा !

 

अंग्रेजों ने इस भूमि पर आकर ,

इस चिड़िया के पर थे काट डाले ,

फूट डालो-राज करो की नीति से ,

इस देश के हज़ारों टुकड़े कर डाले ,

गुलामी  की जंजीरों में इसे जकड़ कर ,

आज़ाद सुबह के सपने चूर कर डाले !

तब उदय हुआ उन वीर-महात्माओं का , 

जिन्होंने आज़ादी के स्वप्न को साकार करने के लिए ,

कर दिए अपने प्राण न्यौछावर ,

जिनकी शहादत और कुर्बानी से ,

मिट गया गुलामी  के अंधेरे का सागर  !

१५ अगस्त , १९४७ का था वो दिन  ,

जब मेरे देश को मिला था वो आज़ाद सवेरा  !

लेकिन क्या हकीकत में था वो आज़ाद सवेरा  ?

 

हम तन से तो आज़ाद हुए है  ,

पर मन और विचारों से अब भी  है गुलाम  !

आज भी यहाँ जाति, धर्म, मज़हब  के नाम पर

होते है दंगे-फसाद , मार-काट और लड़ाई ,

देश को खोखला करने वाली आतंकवाद की ये जड़े ,

इस देश की नींव में है समाई ,

भ्रष्टाचार में लिप्त है यहाँ हर कोई ,

अमीर-गरीब के बीच नित बढ़ रही है खाई  !

दहेज़ और अत्याचारों से पीड़ित है यहाँ नारी ,

हर पल एक डर की छवि उसके मन में है समाई !

जिन मासूम निगाहों में पलते थे स्वप्न कई ,

उनमें  पल रहा है आज अनजाना डर कहीं  !

चारों तरफ हाहाकार है, खौफ है, आतंक है ,

ये कैसी है डर के साए में आज़ादी ?

क्या अब भी हम कहेंगे कि हम आज़ाद है ?

 

जब यहाँ मानवता , भाईचारा और सौहार्द्र होगा ,

जब नारी का यहाँ सम्मान होगा ,

जब यहाँ हर इंसान तन से ही नहीं 

मन और विचारों से भी आज़ाद होगा ,

तब सही मायने में आज़ाद होगा ‘मेरा देश’  !

 

   – सोनल पंवार      

10 Comments

  1. nitin_shukla14 says:

    Great Words…….Lovely Description

  2. Vishvnand says:

    बड़ी सुहानी सुन्दर अर्थपूर्ण रचना
    बहुत मन भायी
    हार्दिक बधाई

    तब से अब तक तो तक लिया
    पर अब से कब तक ऐसा ही चलता रहेगा ?

  3. kishan says:

    सोने की चिड़िया था कभी ,
    उन्मुक्त हवाओं का था बसेरा ,
    नारी की जहाँ होती थी पूजा ,
    ऐसी पावन भूमि का देश था मेरा !
    दिल से लिखी हुयी रचना मेरी और से हार्दिक शुभकामनायें ..जय श्री कृष्ण

  4. Parespeare says:

    fantastic poem Sonal
    *****

  5. rachana says:

    a wonderful journey!

  6. siddhanathsingh says:

    achchhi kavita,
    chalo chirag jalayen ghate andhera kuchh,
    kate prakash ki irno se tam ka ghera kuchh.

  7. Tushar Mandge says:

    बहुत सुन्दर भावों से समाहित रचना

  8. Sangeeta Mundhra says:

    Beautiful!

  9. sonal says:

    Thank u all for valuable comments.

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