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*****मेरे अरमान भाग-१.
Hindi Poetry |
मैंने समय को रोकने की कोशिश तो की थी,
पर रुका नहीं मेरे लिए,
इस में गलती मेरी नहीं,
तुम ना आए तो समय भी चल ने लगा था,
मैंने सूरज पें घर बनानें की कोशिश तो की थी,
पर जलकर भस्म हों गया,
इस में गलती मेरी नहीं,
तुमने एक बार भी मेरी और रहेम नजर से न देखा था,
मैंने आकाश में पंख लगाकर उड़ने कोशिश तो की थी,
पर मैं ना उड़ पाया,
इस में गलती मेरी नहीं,
तुमने मुझे कभी मेरे अरमानो पे उड़ने ही नहीं दिया था,
मैंने चाँद सितारें जमीन पें लानें की कोशिश तो की थी,
पर चाँद सितारों ने मना किया,
इस में गलती मेरी नहीं,
तुम जमीन पर पहेले से ही थे इसलिए वो ना आएँ ,
मैंने तुम्हे अपना बनाने की कोशिश तो की थी,
पर तुम मेरे ना हो पाएँ ,
इस में गलती मेरी नहीं,
प्यार के दुश्मनों ने कभी हमे मिलने ही नहीं दिया था….
“किशन”
रचना को ज़रा और improve कीजिए please . .
गलती ये है कि आपके अरमान बहुत भाग रहे हैं उन्हें ज़रा इत्मीनान से control में लाइए, सोचिये और लिखिए. भाषा भी सही होनी चाहिए इसका भी बहुत ध्यान रखिये please..
thnks sir comments ke liye bahut sukriya aap ka