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*****मैंने एक चाँद देखा था
Hindi Poetry |
चाँदनी रात थी
मैंने एक चाँद देखा था
शांत झरुखे पें
इंतज़ार करतें देखा था
पुरे चाँद को खिलते
उसी रात को देखा था
उसका नजरे झुकाना देखा
मेरे दिल को कुछ कहेना था
पहेली नजर में ही मैंने
रब सें उसको माँगा था
:किशन:
incomplete si lagi