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मैं!
Hindi Poetry |
जकड़ी रहती हूँ
मैं
अपने आप मैं!
बिधा मन लिए
बातों करती, चुप-चाप मैं!
पार ना कर पाई
यादों की परिधि और अमिट छाप लिए!
घावो की टीस भूलती
हर दिन करती पाप मैं!
आँखों की दूसरी और की कहानी
गढ़ती, सुनाती, जीती बिना संताप मैं!
जकड़ी रहती हूँ
मैं
अपने आप मैं!
saral sabdo mein gehri kavita. I enjoyed it very much!
रचना बहुत अच्छी हैं ..जय श्री कृष्ण
कम शब्दों में सुन्दर भावों की प्रस्तुति
bohut achchi hai!!
nice 🙂
a great write
a great poem