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*****सब जानतें हैं*****

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Hindi Poetry

धरती,
अम्बर,
चाँद,
सितारें,
सूरज,
बहेती नदियाँ,
किल्लोल करतें पंखी,
बागों कें खिलतें गुल,
सागर की लहेरें,
मस्ती मैं चलता पवन,
सब जानतें हैं की मैं उसे कितना चाहता हूँ .

“किशन”

3 Comments

  1. Vishvnand says:

    ये आप कैसे जानते हैं ?
    क्यूँ नहीं जानते …

    • kishan says:

      @Vishvnand, jay shree krishna sir aap ki comments hi sab janti hain…..

      • Vishvnand says:

        @kishan
        मेरे कमेन्ट का मतलब था कि आपको कैसे मालूम कि धरती से चाँद सूरज और मस्ती से चलते पवन तक सब जानते हैं कि आप उसे कितना चाहते हैं ?.
        शायद इस बात पर इससे भी बढ़िया कविता हो सकती है ….

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