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स्वदेश!
Aug 2010 Contest, Hindi Poetry |
प्यारा मुझे स्वदेश!
कण-कण में जिसके एकता का सन्देश!
मानवता ही हमारा परिवेश
प्यार की डोर में ही बसते है महेश
पहने सबने अलग-अलग है वेश
ना रखते हम मन अपने द्वेष
कहने को ना बचा कुछ शेष
सबसे उपर है मेरा देश
पाया जहाँ मैंने जीवन का अमूल्य सन्देश!
very nice!!!!!!
@kishan,
thanks!
बहुत सुन्दर छोटी-प्यारी सी कविता
@kalawati,
bahut shukriya!
achchhi lagi …..
@dp,
dhnyavaad!
सुन्दर संक्षिप्त कविता
स्वदेश के प्रति मन का परिवेश
मनभावन
@Vishvnand,
bahut dhnyavaad aapka Sir!
लघुता में विशालता समेटे राष्ट्र प्रेम की सुंदर रचना-रचना हार्दिक बधाई
@sushil sarna,
dhanyavaad!
i liked the rhythm of this small poem. 🙂
@anupama,
thanks anupama!
good short & sweet poem…