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“हमारा देश – स्वतंत्रता संग्राम से कारगिल तक”
Aug 2010 Contest |
(लखनऊ में आयोजित एक कवी सम्मलेन में,मैंने इस रचना द्वारा कारगिल के शहीदों को अपनी श्रधांजलि अर्पित की)
मधु बांटा था जो “मधुकर” ने, मधु के बागों से चुना हुआ,
आज वही मधु पीकर के “भारत” अमर है धन्य हुआ
जब “भारत माँ” के नेत्रों में पीड़ा के आंसू छलक उठे,
तब हर माँ के आँचल में वीरों के तन थे भड़क उठे
यदि छेड़ें बातें सदियों की, जब पहनी जंजीर गुलामी की,
कुछ याद नहीं लाखों सर थे ,जय भारत भूमि बलिदानी की
हर तरफ हुआ उजाला था,हर तन में भड़का ज्वाला था,
हर बच्चे, बूढ़े, और युवा को, पीना आजादी का प्याला था
बिजली कड़की नभ गरज उठे, धरती की आन बचाने को,
ऊँगली पकड़े माओं की, बालक आये हँसते मिट जाने को
दमन हुआ पीड़ायों का , टूटी जंजीर गुलामी की,
हिन्दू मुस्लिम सबने मिलकर, सौगंध ली एक हो जाने की
कुछ ही दिन गुजरे आजादी के, सब मानवता को भूल गए,
यह तेरा है , यह मेरा है, के जंजालों में झूल गए
भाई-भाई से दूर हुआ , हर रिश्ता चकनाचूर हुआ,
“देश” के टुकड़े-टुकड़े कर सीमायों में बंध मजबूर हुआ
एक चक्र था पूर्ण हुआ, बहकर नफरत की आंधी में,
वो सब भूले वो सब त्यागा, जो पाठ पढ़ाया “गाँधी” ने,
जो अपने थे, दुश्मन बनकर, टूट पड़े अभिमान लिए,
भारत की सीमा में घुसकर, ‘कारगिल’ को अपना मान लिए
फिर क्या था, यह “भारत” है, तपोभूमि जो वीरों की,
ऐसे उगले पौरुष को ,जैसे कोई खान हो हीरों की
“अटल” निगाह से तीर चला, “नवाज” का सीना चीर गया,
वो मारा वो काट दिया, संघर्ष से लड़ता वीर गया
हर मन में अंगारे थे ,दुश्मन को मार भगाने को,
हर माँ का एक आंसू भी, काफी था वीर जगाने को
बिलखे-चिपटे माँ के आँचल से, कल ठण्ड में जो छिप जाते थे,
आज वही ,उन बर्फीली चोटी पर लाश बिछाते थे
हर पिता जो चाहे बेटे का कान्धा उसके मर जाने पर,
आज वही खुश होता है,बेटे के रण में जाने पर
माँ की ऑंखें न भीगी थीं, सिन्दूर बहू का पोंछ दिया
झोली में अभिलाषा ले, बेटे को दूध का फर्ज दिया
अर्थी कितनी, कंधे कितने,सोच के लोग थे झूम रहे,
बढ़-बढ़ कर भीगे नयनो से, शहीद के पैर थे चूम रहे,
अमर हुए तुम हो “मनोज” उन सभी वीर दीवानों में,
लड़ते-लड़ते गोली खायी,जिन देश के वीर जवानों ने
परिणाम बड़ा गंभीर हुआ, दुश्मन के छक्के छूट गए,
“नवाज” की अड़ियल आदत से बहुत से देश, थे रूठ गए
बहुत से देश थे रूठ गए……………………………………….
बहुत सुन्दर भावपूर्ण
अपने वीरों के सन्मान में
इक उत्तम देशप्रेम और देशभक्ति की भावनाओं में उभरी
बड़ी प्रशंसनीय रचना
इस रचना के लिए हार्दिक अभिवादन और धन्यवाद
Thanks a Lot Vishvanand ji, You are the only one on this site, who, I believe read all Poems, and encourage people with your Great, Kind Words.
I really appreciate this.
Thanks a Lot !!!!!!!!!!!!!!!
अच्छी रचना,,बधाई स्वीकार करें 🙂
Thanks a Lot Prachi.
Desh prem ki bhavana jaggati aur veeron ka balidaan yaad karati ek acchi rachana.
Hausala afjahi ka bahut bahut shukriya
sundar rachna …….deshbhakti ki bhavna ko jaagrut kerne waali ati uttam kavita
Thank you so very much
Very nicely written..! It shows the Love for country which everyone should have. I had also participated in the contest but after reading this poem I can definitely say that you really deserve for the same..!! Many many Congratulations…..!!
Dear Mr.Amit
Thanks a Lot that you read it and enjoyed every line.
I have just tried to make a presence but winning the Contest is entirely respected viewers greatness & love.
Thank you very much once again.
@nitin_shukla14, आप की इस कविता बार बार पढ़ कर हर बार कमेन्ट करने को दिल करता है…! आज मै कुछ महीनो के लिए अप लोगों से बिदा ले रहा हुं और शायद 4-5 महीनो के बाद वापस आऊंगा तो सोचा चलो एक बार फिर यह कविता पढ़ लू और थोडा “जुस्सा” ज़िंदगी जीने का भर लू हमारे अन्दर..! I am very happy to take print out of this poem today so that I can read it anytime I wish..! All the very best…! 🙂
अच्छा लगा यह पढ़कर कि आपको यह रचना पसंद आई, बहुत बहुत धन्यवाद अमित
मैं आभारी हूँ आपके इन शब्दों का और सुन्दर विचारों का
We will miss u and ur Poems on p4….
@amit478874, आप की इस कविता बार बार पढ़ कर हर बार कमेन्ट करने को दिल करता है…! आज मै कुछ महीनो के लिए अप लोगों से बिदा ले रहा हुं और शायद 4-5 महीनो के बाद वापस आऊंगा तो सोचा चलो एक बार फिर यह कविता पढ़ लू और थोडा “जुस्सा” ज़िंदगी जीने का भर लू हमारे अन्दर..! I am very happy to take print out of this poem today so that I can read it anytime I wish..! All the very best…! 🙂
अच्छा लगा यह पढ़कर कि आपको यह रचना पसंद आई, बहुत बहुत धन्यवाद अमित
मैं आभारी हूँ आपके इन शब्दों का और सुन्दर विचारों का
We will miss u and ur Poems on p4….
बहुत-बहुत सुन्दर रचना! पढ़कर बहुत रोमांच हुआ! जीत के लिए भी बधाई!!
Thank you so very Much……….
best one
Thank you Anuj Ji
dis z really a commendable poetry …….seems to be a landmark………heartiest congratulation to u
Thanks a Lot for this Great appreciation
“अद्भुत रचना है कर डाली नितिन जी के इन शब्दों ने
ममतामयी गोदी मतवाली, स्मर्ण कराए कर्तव्यों की”
“हार्दिक शुभकामनाएं”
Dhanyavad Sweekar karen
bahut sundar panktiya hai! congratulations on becoming the winner of last month’s poetry contest!
Thanks a Lot for ur Comments
सबसे पहले आपको इस वीररस में डूबी रचना के प्रतियोगिता में जीतने हेतु अनगिनित हार्दिक बधाईयाँ – रचना की जितनी भी तारीफ़ की जाए कम है-शब्द तलवारों से कम नहीं होते-शब्द अंगारों से भी कम नहीं होते, दिल के तरकश में अगर शब्दों के तीरों को सही समय पर चलाया जाए तो इन तीरों के घाव भी कम नहीं होते-खैर आपकी इस रचना के लिए आपको बारम्बार बधाई नितिन जी
“इस खूबसूरत टिप्पणी के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद “
congratulation from me also.
Thanks a Lot !!!!!!!!!!!!
मजा आ गया बहुत दिनों बाद इतनी आची कविता पढने को मिली
Harish ji aapki iss prasansha ka main bahut-bahut shukrguzar hoon….
We ahve emailed you re your prize- have not heard anything.Pls reply
Sorry I have not rcvd any mail. My email ID is- nitin_shukla14@yahoo.com.
Pl forward once again.
अति सुन्दर ! बधाई !
Thank you so much