« “वर्षा ऋतु” | गुज़ारिश » |
अंदाज़े शायराने..
Hindi Poetry |
Here, I am presenting some “Shayaries” having the similar words used at different places…!
Enjoy..! 🙂
“गुज़रा हुआ “वक़्त” कभी वापस आता नहीं,
आने वाला “वक़्त” कभी रुकता नहीं;
यह तो “वक़्त” – “वक़्त” की बातें है, मेरे दोस्त…!
आगे बढ़ने वाला बन्दा “वक़्त” के आगे कभी झुकता नहीं…!” (१)
“नयी “मंज़िलों” को पाने के लिए “मंजिलें” बनानी थी हमें,
“मंज़िलों को साथ ले कर “मंजिलें” पानी थी हमें;
खुश नसीब थे हम…
कि “मंज़िलों” को पाते पाते वोह राह मिल गयी हमें,
जिस पर चलते चलते, “मंजिल” तक पहुँचने से पहले ही
“मंजिल” मिल गयी हमें….!” (२)
“दुनियाँ में “दोस्त” से बढ़कर जो कोई चीज़ है,
तो वह है “दोस्ती”…!
“दुनियाँ” में “गम” से बदतर जो कोई चीज़ है,
तो वह है “गुस्ताखी”…!
क्योंकी….
“दोस्त” तो हर कोई बनता है, मगर
“दोस्ती” हर कोई नहीं निभाता…!
“गुस्ताखी” तो सब से होती है, मगर
“गम” हर किसीको नहीं मिलता…! (३)
“डरता” तो हर कोई है,
मगर फर्क बस इतना है…
“डरने” वाला बन्दा अपने “डर” कि वजह से
“डर” के सामने लड़ने से “डरता” है…!
और बेख़ौफ़ बन्दा अपने हौंसले कि बदौलत
“डर” के सामने “डरने” से “डरता” है…! (४)
-Amit T. Shah (M.A.S.)
21st September 2010
nice one ……
@ANUJ SRIVASTAVA, Thank you Anuj…!
acchi kavita evan shairi