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आप के दर से जो लौटेंगे किधर जायेंगे हम.

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Hindi Poetry
आप के दर से जो लौटेंगे किधर जायेंगे हम.
शाख से टूटे हुए गुंचे सा झर जायेंगे हम.   gunche-kali
 
आप की जुल्फों में उलझे हैं मेरे तारे नफ़स  taare nafas-saanson ke taar
आप सुलझाएंगे जुल्फें तो संवर जायेंगे हम.
 
आप के लब पर खिलेंगे जब मेरी गजलों के फूल,
बन के खुशबू सारी दुनिया  में बिखर जायेंगे हम.
 
बन गए हैं हमसफ़र तो फिर सदा रहिएगा साथ,
आप ने छोड़ा अगर हमको तो मर जायेंगे हम.
 
आप से ही ज़ेबो ज़ीनत आप से सारा सिंगार,
आप अँगुलियों से छू भर दें निखर जायेंगे हम.
 
पी चुके हैं अब सुधा रस आप के अधरों का हम,
अब पिलाएगी जो दुनिया, पी ज़हर जायेंगे हम.

6 Comments

  1. Harish Chandra Lohumi says:

    आपकी हर नज़्म पढना, दिल की आदत में शुमार,
    गर कभी नागा हुआ तो, फ़िर कहाँ जायेंगे हम । (नागा- absence)

    बहुत सुन्दर, बधाई!!!

  2. chandan says:

    आप से ही ज़ेबो ज़ीनत आप से सारा सिंगार,
    आप अँगुलियों से छू भर दें निखर जायेंगे हम.
    अति सुन्दर ! बेशक आपकी रचनाएँ किसी
    तारीफ़ की गरजमंद नहीं. मैं तो बल्कि बहुत कुछ सीख रहा हूँ
    अपना उर्दू शब्दकोष बढ़ा रहा हूँ.

  3. prachi sandeep singla says:

    loved it 🙂 awesome hai

  4. Vishvnand says:

    बहुत खूब मज़ा आ गया
    आपकी शायरी का इसमे बढ़िया सा कमाल
    और नया नया सा अंदाज़ पाते हैं हम
    हार्दिक बधाई

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