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— और तलाक़ हो गया!
Hindi Poetry |
और साथ हो गये,
प्रेम -सुत्र मे बँधे,
एक-दूजे मे खो गये!
जय-माला डाल दी,
रिश्ता-पवित्र हो गया,
माँग मे सिंदूर सजा,
खुदा गवाह हो गया!
सुख-दुख के होंगे साथी,
ऐसी खाई थी कसम,
मिलकर करेंगे सामना,
समीप आएगा जो गम!
रिश्ते की नज़ूक डोर,
ना जाने कब हिल गयी,
विश्वश के बंधन को,
तार-तार कर गयी!
ताल-मेल हो ना सका,
बात और बिगड़ गयी,
डोर खिचती रही,
गृहस्थी उधड़ गयी!
समय के दल-दल मे,
कुटुंभ का रथ धस गया,
क्रोध के जाल मे,
अमर प्रेम फँस गया!
रिश्तो की दीवार मे,
गहरी दरार पड़ गयी,
दो-जीश्म एक जान,
जुदा-जुदा हो गयी!
ना जाने आज क्यो,
हर रिश्ता छोटा पड़ गया,
बस ज़रा सी बात हुई,
और तलाक़ हो गया!
डॉक्टर राजीव श्रीवास्तवा
वो तो होना ही था……॥
सुन्दर, अति सुन्दर !!!
वो तो होना ही था…… sir aisa kyo kah rahe hai.aisa nahi hona chahiye—thanks a lot
एक कहानी ज़िंदगी की छोटी सी कविता में ही बता दी आपने…! क्या बात है..! लाजवाब…!
@amit478874, thanks
comment-70117″>@amit478874, jj…………………..bahut khoob sir kya baat hai…………..shadi ki daawat ye khoob chaw ke khate hai …………….taltak hone par aise cooments deekar jate hai………………. versha poet
अच्छी रचना, बधाई
कुछ गलत छपे शब्दों को सुधारें तो बहुत अच्छा.
आजकल शादी होने के बाद पति पत्नी को इकदूजे से जुड़े रहकर अपनी जिन्दगी अच्छी तरह प्यार में बिताने की समझदारी लुप्त होती जा रही है
good one sir…..
@ANUJ SRIVASTAVA, thanks
nice
@pallavi,
thanks
Bahut sundar rachna hai…..
Ek duje ke liye samay nikalna jaruri hai, Apna hi samajh jayega/ gi aisa sochna galat hai….. Isi se dhire dhire rishton me darar aati hai…..
@dr.paliwal, bilkul sahi ,thanks
Lovely….
@nitin_shukla14,
thanks