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गुज़ारिश

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Hindi Poetry

गर  तनहाइयों  के  वादियों  में
हसरतों  के  मेले  लगते,
तमन्नाओ  के  बादलों  से
ख्वाहिशों  की  बारिश  होती,
तो  मेरी  खुदा  से  यही  आरजू  होती
कि  कम  से  कम  एक  अश्क  बादलों  का
हमारे  नाम  कर  दे,

दे  दे  मुझे  कुछ  नूर
उस  चमन  से  चुरा  कर ,
या  एक  झलक  चांदनी  का
मुझ  पर  कुर्बान  कर  दे ,

ऐ  खुदा  तू  साथ  दे  मेरा
इन  बमुश्किल  राहों  पर ,
या  मुझमे  उतर  कर
मुझे  इन  मुश्किलों  से  पार  कर  दे ,

अब  तो  बस  यही  तमन्ना  है

कि  बख्श  दे  मुझे  भी वो  चांदनी,

जिससे  दूर  होने  पर  ये  चाँद  भी  आह  भर  दे  |

रचनाकर्ताअनुज श्रीवास्तव (anujsrivastavaa@gmail.com)

8 Comments

  1. ANUJ SRIVASTAVA says:

    मेरी अब तक की सबसे अच्छी रचना …

  2. pallavi says:

    reaaly nice poetry ……….congratulationz

  3. Vishvnand says:

    बहुत सुन्दर ढंग की भावपूर्ण रचना
    अर्थपूर्ण और मनभावन
    जीवन का सुन्दर पड़ाव दर्शाता है
    हार्दिक बधाई

    इसके आगे जब प्रभु से साक्षात्कार सा हो जाता है
    तो मांगने के लिए कुछ नहीं रहता, मांगना ही ख़त्म हो जाता है

  4. dr.paliwal says:

    Bahut sundar rachna hai Anuj ji….

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