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गुज़ारिश
Hindi Poetry |
गर तनहाइयों के वादियों में
हसरतों के मेले लगते,
तमन्नाओ के बादलों से
ख्वाहिशों की बारिश होती,
तो मेरी खुदा से यही आरजू होती
कि कम से कम एक अश्क बादलों का
हमारे नाम कर दे,
दे दे मुझे कुछ नूर
उस चमन से चुरा कर ,
या एक झलक चांदनी का
मुझ पर कुर्बान कर दे ,
ऐ खुदा तू साथ दे मेरा
इन बमुश्किल राहों पर ,
या मुझमे उतर कर
मुझे इन मुश्किलों से पार कर दे ,
अब तो बस यही तमन्ना है
कि बख्श दे मुझे भी वो चांदनी,
जिससे दूर होने पर ये चाँद भी आह भर दे |
रचनाकर्ता – अनुज श्रीवास्तव (anujsrivastavaa@gmail.com)
मेरी अब तक की सबसे अच्छी रचना …
@ANUJ SRIVASTAVA, u r ryt anuj 🙂 cngratz
reaaly nice poetry ……….congratulationz
@pallavi, thanks pallavi………..
बहुत सुन्दर ढंग की भावपूर्ण रचना
अर्थपूर्ण और मनभावन
जीवन का सुन्दर पड़ाव दर्शाता है
हार्दिक बधाई
इसके आगे जब प्रभु से साक्षात्कार सा हो जाता है
तो मांगने के लिए कुछ नहीं रहता, मांगना ही ख़त्म हो जाता है
@Vishvnand, धन्यवाद ….आपके ये शब्द मेरे लिए उत्साहवर्धक हैं …
Bahut sundar rachna hai Anuj ji….
@dr.paliwal, thank you sir….