« मन की गंगा | रात पूनों की है आज भी, आज भी हम अकेले बहुत. » |
तुम ही कह दो कि क्या किया जाये.
Hindi Poetry |
तुम ही कह दो कि क्या किया जाये.
क्यूँ न अब खुल के रो लिया जाये.
बेरुखी सब्र आजमा तेरी
और तनहा न अब जिया जाये.
दस्ते दुनिया से तो उम्मीद नहीं,
ज़ख्म खुद ही चलो सिया जाये.
ज़िन्दगी हो गयी ज़हर तुम बिन,
और ज़हर कब तलक पिया जाये.
खामोशी को वो बुजदिली समझें,
चल वहम दूर कर दिया जाये.
ऐसे माहौल में ग़ज़ल क्या हो,
आज हो एक मर्सिया जाये.
चल वहम दूर कर दिया जाये.
“मर्सिया” का मतलब भी बता दिया जाये !!
सुन्दर, बधाई !!!
@Harish Chandra Lohumi, marsiya urdu me shokgeet ki vidha hai.
@siddha Nath Singh,
धन्यवाद सर !! वहम दूर किया …वो भी इस दर्दीले लफ़्ज़ से !
क्या बात है, अच्छी ग़ज़ल,एस.एन.
@U.M.Sahai, thanks a lot sir.
Very nice…! Good work…!
भाई अन्यथा मत लेना पर और मेहनत की जरूरत लग रही है ज्यादा रचनाएँ पोस्ट करने से अच्छा है रचना पर ज्यादा परिश्रम किया जाये
निरंतर लिखते रहे शुभकामनायें
अच्छी रचना
पढ़ के सारा वाकिया
हमको है लगता ये सही
क्यूँ न ये सब और सारा
नए सिरे से किया जाय ….