« »

तुम ही कह दो कि क्या किया जाये.

4 votes, average: 3.50 out of 54 votes, average: 3.50 out of 54 votes, average: 3.50 out of 54 votes, average: 3.50 out of 54 votes, average: 3.50 out of 5
Loading...
Hindi Poetry
तुम ही कह दो कि क्या किया जाये.
क्यूँ न अब खुल के रो लिया जाये.
 
बेरुखी सब्र आजमा तेरी 
और तनहा न अब जिया जाये.
 
दस्ते दुनिया से तो उम्मीद नहीं,
ज़ख्म खुद ही चलो सिया जाये.
 
ज़िन्दगी हो गयी ज़हर तुम बिन,
और ज़हर कब तलक पिया जाये.
 
खामोशी को वो बुजदिली समझें,
चल वहम दूर कर दिया जाये.
 
ऐसे माहौल में ग़ज़ल क्या हो,
आज हो एक मर्सिया जाये. 

8 Comments

  1. Harish Chandra Lohumi says:

    चल वहम दूर कर दिया जाये.
    “मर्सिया” का मतलब भी बता दिया जाये !!

    सुन्दर, बधाई !!!

  2. U.M.Sahai says:

    क्या बात है, अच्छी ग़ज़ल,एस.एन.

  3. amit478874 says:

    Very nice…! Good work…!

  4. dr. ved vyathit says:

    भाई अन्यथा मत लेना पर और मेहनत की जरूरत लग रही है ज्यादा रचनाएँ पोस्ट करने से अच्छा है रचना पर ज्यादा परिश्रम किया जाये
    निरंतर लिखते रहे शुभकामनायें

  5. Vishvnand says:

    अच्छी रचना

    पढ़ के सारा वाकिया
    हमको है लगता ये सही
    क्यूँ न ये सब और सारा
    नए सिरे से किया जाय ….

Leave a Reply