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पुरबा बहेले सिवनवां
Hindi Poetry, Sep 2010 Contest |
पुरबा बहेले सिवनवां
कि भीतरे अंगनवां
उमसिया से जीव जा’ता’ I.
झम झम बरसे बदरिया
सोन्हायिल बा बखरिया
दिवलिया में सींव जा’ता’ I
नाहीं बा नगीचे सजनवां
हुमक उठे मनवां,
उनहिं के करीब जा’ता’ I
रह रह चमके बिजुरिया,
कि जईसे मुखारिया
हो पियवा के दीख जा’ता’ I
bahut achha andaz sir….jay shree krishna
@kishan, thanks.
इस मिट्टी की भीनी-भीनी सौंधी सुगन्ध से भला कौन बच सकता है एस एन साहब्।
बहुत अच्छे……। बनी रहे ……।
@Harish Chandra Lohumi, dhanyvad harish ji.