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~~मुझे चार कंधोने उठाया था,उसे पता ना चला,

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Hindi Poetry

आँसू तो गिरते रहे,

उसे पता ना चला,

 

सादी तो उन्होंने करदी,

मुझे  पता ना चला,

 

वो तो सजी हुई थी,

मुझे पता ना चला,

 

मुझे सजाया गया था,

उसे पता ना चला,

 
वो भी घरसे निकली थी,

मुझे पता ना चला,

 

मुझे भी घर से निकाला था,

उसे पता ना चला,

 

वो उठके डोली मैं बैठी थी,

मुझे पता ना चला,

 

मुझे चार कंधोने उठाया था, 

उसे पता ना चला,

 

अजीब मुहब्बत अजीब दास्तान,

अंजाम भी किसीको पता ना चला,

 

“किशन”

4 Comments

  1. Harish Chandra Lohumi says:

    वाह किशन भाई !!
    उसे क्या किसी को भी पता नही चला,
    कहाँ रहे इतने दिन, सब ठीक तो है ना !

  2. siddhanathsingh says:

    bekhayali is tarah achchhi nahin hosh me ab abhi sanam aa jaiye.

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