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वर्षा ऋतु
Hindi Poetry, Sep 2010 Contest |
वर्षा ऋतु
प्यासे नयन, उत्साहित मन, काली घटाएं, दिखे गगन;
मस्ती में चूर, लहराते फूल, संकेत दे रहें हैं हज़ूर;
ऋतुओं में ऋतु – वर्षा ऋतु, बरसाए पानी, छम-छम-छम !१!
बच्चे, जवान, बूँढों का तन, बूँदों से महक उठे हर क्षण;
बहती कश्ती, उडता छाता, भीगा-भागा सा वो बचपन;
ज्यूं स्मर्ण करें हम उस पल का, त्यूं ऱोम-ऱोम हर्षित पावन !२!
प्यासे नयन, उत्साहित मन, बरसाए पानी, छम-छम-छम*******
रिमझिम बारिश, हवा के संग, पुल्कित हृदय, विखरे हैं रंग;
साथी का साथ, मधुर साज़, शिथिल अंग, कम्पन के संग;
उत्साह की लहर, भावुक उमंग, उत्पन्न कर दे प्रेम-प्रसंग !३!
प्यासे नयन, उत्साहित मन, बरसाए पानी, छम-छम-छम*******
इक छोर दिखे कुदरत का कहर, सूखा-सैलाब, गाँव-शहर;
दूजा अनुभव, उसकी वो लहर, जब अमृत बरसे चार पहर;
छंटते बादल, उजली सी धूप, वाह मालिक़! कुदरत तेरी खूव !४!
प्यासे नयन, उत्साहित मन, बरसाए पानी, छम-छम-छम*******
(विश्वस्थलि)
वाह, वर्षा ऋतु के विभिन्न दृश्य बहुत ख़ूबसूरती से प्रस्तुत किये हैं!
@parminder, Danybaad
A classic poetry.
Very lovely and lively
Beautiful enticing style of narration
Hearty commends.
@Vishvnand,
Danybaad! “Pryaas kiya tha, kiya hai aur karte rheinge”.