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संत पत्निदास ….!
Hindi Poetry |
संत पत्निदास ….!
पढ़ा था, तुलसीदास को
उनकी पत्नी ने जब कहा
जैसा सच्चा प्यार तुम मुझसे करते हो
प्रभु से किया होता तो तुम कहाँ होते
बात मान कर वो तो आगे बड़े संत तुलसीदास बन गए ….!
और मैं प्रभु के प्यार में ज़रा भी पडा
प्रभु दर्शन को बार बार मंदिर मे जाने लगा
तो तुमसे देखा नही जाता, टांग अडाती हो
मुझ जैसे संत को खुद का दास बनाए रखती हो
तो फिर बताओ ऐसे संत पत्निदास का भला आगे क्या हो …..!
—- xxx —-
चलिए मंदिर भगवान् के दर्शन के लिए जाते हैं तब तक तो ठीक है वर्ना लोग वहां जाकर और ही दर्शन करने लगे हैं और सही अर्थों में दार्शनिक हो गए हैं,
जनाब अकबर इलाहाबादी ने कहा था-
सिधारें शेख काबे को हम इंगलिस्तान देखेंगे.
वो देखें घर खुदा का, हम खुदा की शान देखेंगे.
@siddha Nath Singh
बात तो यही है, किसे मालूम
मंदिर में भगवान के दर्शन को जाते हैं,
या किसी और को दर्शन देने जाते हैं,
पत्नी को मालूम है जो पत्नी के दास नजर आते हैं
वही असली चोर और दगाबाज़ होते हैं
मत पूछिए पत्नी को ये सब कौन समझाते हैं
हमे तो तुलसी दास और पत्निदास में बडा ही फ़र्क नज़र आ रहा है सर,
तुलसी दास जी अपनी पत्नी से प्यार करते होंगे ये तो राम ही जाने,
लेकिन यहाँ पर पत्निदास जी अपने प्यार को चाहे कितना ही बडा समझें, लेकिन उनकी आदरणीया का पत्निदास जी के प्रति प्यार कहीं ज्यादा ताकतवर प्रतीत हो रह है । यही कारण है कि पत्निदास जी को उनका प्यार टांग अडाने जैसा प्रतीत हो रह है।
@Harish Chandra Lohumi
आपका कहना भी शायद सही है
पर मेरे ख्याल से पत्नी टाँग अडाती है
क्यूँकि वो समझती है
पति मंदिर में शायद
औरों की टाँग देखने जाते हैं …