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***सहलाया न कीजिये …***
Hindi Poetry |
नजरों के घोंसलों में ख्वाब भला रुकेंगे किस तरह
पत्थरों के शहर में घर शीशे के बनाया न कीजिये
जिस नाजनीन की पायल से रौनक थी राहों की
इंतज़ार में उन राहों से नजरें हटाया न कीजिये
वो बन गए हैं रूह आपकी जिस्मों-जान के
मजबूर रूह पे बेवजह इल्जाम लगाया न कीजिये
बेसब्र आँधियों में बुझती शमा है बेकसूर
जख्मों के दर्द को पलकों से सहलाया न कीजिये
तन्हा सड़क पर यादों के हैं अंगारे धधक रहे
यूँ पाँव नंगे तन्हा सड़क पर जाया न कीजिये
सुशील सरना
तन्हा सड़क पर यादों के हैं अंगारे धधक रहे
यूँ पाँव नंगे तन्हा सड़क पर जाया न कीजिये
ये शेर दिल को छू गया बहुत अच्छा अंदाज़ आप का सर ,,,,,,,,जय श्री कृष्ण
@kishan,
धन्यवाद किशन जी आपकी इस प्रेममयी प्रशंसा का – जय श्री कृष्ण