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***सावन की बूंदें …***

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Hindi Poetry, Sep 2010 Contest

जाने किस किस के सीने की

बूंदें, सावन में प्यास बुझायेंगी 

बरखा   की बूंदें  देंगी  किसे गम 

और किसको खुशी दे जायेंगी   

धुंधली  यादें में वो लिपटी

भीगी बातें संग में लेकर

तन्हा तन्हा रातों में  वो

आंखें गीली कर जायेंगी

प्रथम मिलन वो सावन का और

मौन स्पर्श की सुप्त  अनुभूति  

अम्बर में बिजली सावन की  

फिर प्यार का गाँव बसायेगी

थमती बारिश में  गुप चुप बूंदें  

प्रीतम भी संग में लायेंगी

भीगी होगी छत अपनी और

बूंदें, बदली में चाँद दिखाएंगी,

बदली में चाँद दिखाएंगी …..

 

सुशील सरना

 

 

 

 

 

 

 

2 Comments

  1. kishan says:

    wah sir aur koi word nahi hain mere pass kyunki ye svanki zadi koi birahna ka dil bhi dukhati hogi na ,,,jai shree krishna meri aur se bahut sari badhaiya

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