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“बिदाई”

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Hindi Poetry

“इस रचना के माध्यम से मैंने एक प्रेमी युगल की मुलाकात,इज़हार,विवाह एवं विदाई का चित्र प्रस्तुत करने का प्रयास किया है, उम्मीद है आपको पसंद आएगा

 

                          

बिदाई

 तन पुलकित था मन हर्षित था,

दो नयनों ने स्वीकार किया

नयनों से नयना चार हुए,

मेघों ने भी मनुहार किया

 

दिल कि बातें दिल तक रहतीं,

यह संभव न हो पाया

नीरस नयनों ने रो-रो कर,

विरह इत्र को बरसाया

 

समय बढ़ा गतिमान हुआ,

आखिर वो दिन भी आया

प्रेमी बंधन में बंधने को,

ह्रदय उमंग से भर आया

 

हर चिर-परिचित और माँ-बापू का,

आशीर्वाद है रंग लाया

सोचा था जो अंतर्मन ने,

वैसा ही जीवन साथी पाया

 

रात्रि कटी चिंताओं में,

सुफल सभी हर काम हुए

पिय के बंधन में बंधने को,

मेरे नयना अभिराम हुए

 

जो अपने थे,परायों से,

मुंह थे मेरा वो ताक रहे

कुछ नेत्रों के झरोखों से,

मेरी आँखों में थे झांक रहे

 

माँ कि ममता  तड़प उठी,

अपने अंक में भरने को

बापू के नयना छलक उठे,

बाँहों में अपनी भरने को

 

जिसने पाला-पोसा, बड़ा किया,

आज वो मुझसे दूर हुए

प्रभुयह कैसा आडम्बर है,

जो वक्त के हाथ मजबूर हुए

 

एक तरफ थे खड़े हुए सब,

बाट थे मेरी जोह रहे,

नयनों में मोती भरकर,

मेरे मन को थे मोह रहे

 

छोटों ने बढ़कर पैर छुए,

बड़ों ने दिल से चिपकाया

छोटी बहना, छोटा भैया,

दीदीकहकर चिल्लाया

 

यह छोटा सा संसार मेरा,

आज इससे में छोड़ चली

बाबुल कि अभिलाषाओं को,

मन में रख मुंख मोड़ चली

 

नितिन शुक्ल

 

 

 

 

 

16 Comments

  1. dr.ved vyathit says:

    सुंदर है

  2. Vishvnand says:

    सुन्दर भावनिक रचना /गीत
    बहुत मन भाया

    हार्दिक बधाई

    • nitin_shukla14 says:

      प्रसन्नता की सीमा नहीं है, कि रचना आपको पसंद आई
      बहुत बहुत धन्यवाद

  3. pallavi says:

    bahut hi hridayasparshi kavita hai hai .iski sahajta man ko sparsh ker jaati hai .hridaya bhavuk ho ker bhar aaya ……
    haardik abhinandan swikaar karein

  4. pallawi says:

    bohut hi emotional poem liked it !!

  5. renu rakheja says:

    Enjoyed the flow and rythm of the poem

  6. Harish Chandra Lohumi says:

    बहुत ही सुन्दर रचना शुक्ला साहब,
    हमारा अशीर्वाद भी इन्हें मिले-

    हों पूर्ण मनोरथ उभय पक्ष ले-देकर कन्या-दान महान,
    दें देव इन्हें अक्षय सुहाग, दाम्पत्य सौख्य भरपूर महान ।

  7. parminder says:

    स्त्री के उस पल का बहुत सजीव चित्रण है जब वो अपने दूसरे जीवन में कदम रखने जा रही होती है|

  8. nitin_shukla14 says:

    Dhanyavad Parminder Ji, Aap bhee Bahut hee khoobsurat likhti hain, maine aapki kai rachnayen padhi hain.Thank you so very Much .

  9. nitin_shukla14 says:

    Thank you Mam, Thanks a Lot for appreciation.

  10. ANUJ SRIVASTAVA says:

    a lovely poem……….

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