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*****एक दिन….धरती,आसमान,हवा,नदियाँ…..
Hindi Poetry, Oct 2010 Contest |
*****एक दिन….धरती,आसमान,हवा,नदियाँ
एक दिन ये धरती भी हमे कह देगी की चले जाओ यहाँ से
तुमने मुझे बहुत दुःख दिये
कभी मेरे अपने पौधे को काट दिया
कभी खनिज ,तेल ,पानी की लालच मैं
मुझे ही बड़े खंजर भोकते रहे
कोई भला अपनी माँ के साथ ऐसा व्यवहार करता हैं?????
एक दिन ये आसमान भी हमे कह देगा की चले जाओ यहाँ से
मुझे तुम्हारे ये विमान,रोकेट ने चैन की साँस नहीं लेने दी
ईस से अच्छे तो ये पंखी रोज़ मुक्त गगन मैं मधुर गीत
मुझे सुनाने आते थे लेकिन ये रोकेट विमान की वजह वो भी नहीं आते
एक दिन ये हवा हमे कह देगी की मैं अब तुम्हारे लिए नहीं
चले जाओ ईस दुनिया से
तुमने मेरे सारे मौषम बिगाड़ दिये इसकी वजह आज
ठण्ड की रुतु मैं भी बारिश होने लगी
मेरा सारा काल चक्र तुम्हारे ईस प्रदुषण ने ही बिगाड़ा हैं
एक दिन ये बहेंती नदियाँ भी हमे पानी देने से इनकार कर देगी
चले जाओ यहाँ से
हम केसे मुक्त बहा करती थी आज तुमने बड़े बड़े किला बंदी करके हमे
भी कैद कर दिया
बोलो ईस सब के हम ही जिम्मेदार हैं की नहीं ????
“K4किशन”
दर्द गहरा है लिकिन बयाँ न हो सका उस सलीके से जिस तरह से लोग चाहते हैं ।
कुछ सुधार कीजिये !
किसी गणमान्य के द्वारा दिया गया एक स्टार तो यही बयाँ कर रहा है किशन जी !
@Harish Chandra Lohumi, thnks sir coments karne ke liye