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एक दीप ऐसा भी
Hindi Poetry |
रोशन करने के लिए,
हम जला लेते है हज़ारो दिये,
जो किसी की अंधियारी ,
जिंदगी मे बहार ला दे,
जला दे एक दीप ऐसा भी!
अपनी शाम को,
दिलकश बनाने के लिए,
हम जला लेते है हज़ारो दिये,
जो किसी मायूस को,
एक मुस्कान देदे ,
जला दे एक दीप ऐसा भी!
अपनी ख़ुसीयों मे,
चार -चाँद लगाने को,
हम जला लेते है हज़ारो दिये,
जो किसी गमजदा को,
हँसने का एक मौका देदे,
जला दे एक दीप ऐसा भी!
अपने मंदिर मे,
भक्ति जगाने को,
हम जला लेते है हज़ारो दिये,
जो किसी अज्ञानी मे ,
ज्ञान की ज्योति जगा दे,
जला ले एक दीप ऐसा भी!
अपनी जीत का,
जशन मानने को,
हम जला लेते है हज़ारो दिये,
जो किसी हारे हुए मे,
एक उमीद की किरण जगा दे,
जला ले एक दीप ऐसा भी!
अपनी सालगिरह को,
यादगार बनाने को,
हम जला लेते है हज़ारो दिये,
जो किसी के बुझते चिराग,
को नया जीवन देदे,
जला ले एक दीप ऐसा भी!
डॉक्टर राजीव श्रीवास्तवा
सौ-सौ दीप दीप जले जगमग-जग,
मन का दीप जला ही नही !
नयी प्रतिक्रिया फ़िर भेज रहा हूँ ,
पिछली का उत्तर मिला ही नही ।
अच्छी रचना! बधाई !
@Harish Chandra Lohumi, dhanyavad sir aap ki pratikiriya mujh main hoosle ka deep jagati hai jiska prakash muje sada prerna deta hai
बहुत बढ़िया अंदाज़
और सुन्दर रचना
हार्दिक बधाई …
“जला ले एक दीप ऐसा भी!”
हर दीप जो बिखेरे जीवन खुशी …
ख़ुसीयों जशन उमीद… ye shabd galat chape hain