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कट गई ! फ़िर जेब कट गई !
Hindi Poetry |
पंडित अटल बिहारी बाजपेयी जी की रचना –“ठन गई! मौत से ठन गई!” से प्रेरित होकर लिखी गयी इस रचना को प्रस्तुत करने में हर्ष महसूस कर रहा हूँ ।
कट गई ! फ़िर जेब कट गई !
कट गई ! फ़िर जेब कट गई !
लुटने का मेरा इरादा न था,
जेब कतरो से मुलाकात हो जायेगी, सोचा न था ,
भरी बस में मेरी घड़ी खो गयी,
यों लगा ज़िन्दगी खड़ी हो गई।
जेब कटने मे समय क्या लगा ?
दो पल भी नहीं,
कटने का ये सिलसिला,
कल भी वही था आज भी वही ।
मैं ज़ेब भर ले गया था,
कुछ खरीदारी करूँ ,
लौटकर आऊँ,
बीवी को खुश करूँ ।
वो आये दबे पाँव,
चोरी-छिपे से न आये,
पीछे से वार कर फिर मुझे आज़माये।
उनसे से बेख़बर,
बस का सफ़र,
अब शाम हो गयी थी,
लगने लगा था डर।
बात ऐसी नहीं कि कोई ग़म न हो,
दर्द जेब कटने का कम न हो।
उधार अपनों से मुझको मिला,
न बीवी से डर न जेब कतरो से कोई गिला।
हर पनौती से दो हाथ मैंने किये,
“इमर्जेन्सी” जलायी जब बुझ गये दिए।
आज फ़टकारता उधार देने वाला हर इन्सान है,
सब सोचते हैं कि ये बेइमान है।
उधार पाने का गर न रखता हौसला,
झेल कैसे कर पाता तेवर उसके,
ससुर की बेटी जो अब “ससुरी” बन गई।
कट गई ! फ़िर जेब कट गई !
***** हरीश चन्द्र लोहुमी
बहुत सुन्दर, क्या बात है
रचना का अंदाज़ बहुत मन भाया .
जाने कितनों को होगा गुस्सा आया
हार्दिक बधाई.
बात बिलकुल सही है. हमारे जेब कतरे हमारे ही आसपास अलग अलग हुलिए में मंडराते रहते हैं और उनका जेब कतरने का कौशल्य भी अलग अलग तरह का disguise में होता है और हम जान कर भी कुछ नहीं कर पाते.. जेब कटवाते ही रहते हैं… 🙂
@Vishvnand,
हार्दिक आभार और धन्यवाद सर !
गुस्सा किसी और को आया हो तो चलेगा, लेकिन यदि कहीं उनको पता चल गया की उन्हें क्या संबोधन मिला है तो सुरसुरी जरूर लगेगी उन्हें और फिर से आक्रामक तेवर झेलने पड़ सकते हैं . वो भी तो अपने कौशल्य की सम्पूर्ण मल्लिका हैं .
रचना सुंदर, रचना में निहित अर्थ सुंदर और उसपर कहने का अंदाज सुंदर- रचना पसंद आई – बधाई हरीश भाई लेकिन बुरा न माने-दिए के साथ emergency समझ नहीं आई-लेकिन रचनाकार इज सर्वोच-कृपया अन्यथा न लें
@sushil sarna,
रचना का गंभीरता से अवलोकन करने के लिए हार्दिक शुक्रिया सरना साहब !
बुरा मानने का तो सवाल ही नहीं उठता . उधारी तो इमरजेंसी में ही करनी पड़ती है ना !!!
यदि दिमाग की इमरजेंसी न जलती तो मोमबत्ती खरीदना भी तो मुश्किल था .
हार्दिक धन्यवाद और आभार आपका !!!
kya baat hai sunder andaj me jebkatro se mulakat— congrats
@rajivsrivastava,
हार्दिक आभार और धन्यवाद राजीव जी,
मानना पडेगा !!! क्या-क्या ढूँढ लेते हैं आप भी !!!
Very nice harish ji
@Dhirendra Misra,
धीरेन्द्र जी रचना आपको अच्छी लगी ! प्रसन्नता बँटनी शुरु हो गयी !!!
कोटिश: धन्यवाद आपका !!!
बहुत सुंदर मार्मिक व्यंग के माध्यमसे सामाजिक विद्रूप को व्यक्त करने में बड़ी सफलता पाई है
bdhai
@dr.vedvyathit,
डा0 साहब आपने मूल्यांकन किया और रचना उत्तीर्ण हुई !!! आपको भी बधाई !!!
वाह सर जी,
जेबकतरों को भी नहीं छोड़ा, उन्हें भी घसीट कर ले आये हमारे बीच । कहीं हममें से किसी ने उनसे ये हुनर सीख लिया तो ????
@dp,
जब जेबकतरों ने हमें नहीं छोड़ा तो हम भला उन्हें क्यूं छोड़ने लगे डीपी जी !!!
रहा सवाल हुनर सीखने का, इमरजेंसी में काम तो आ ही सकता है !!!
बहुत अच्छी रचना |
@Ruchi_Misra,
हार्दिक आभार और धन्यवाद रूचि जी !!!
अच्छी रचना ।
@CS_Aithani, शुक्रिया CS_Aithani साहब !!!
Wah Harish Ji Wah
bahut hee sundar Rachna..
Badhai
@nitin_shukla14,
हार्दिक धन्यवाद और आभार नितिन जी, सराहना के लिये !!!
सुंदर रचना है हरीश जी। आज के माहौल को व्यक्त करती इस रचना के लिए बधाई हो
@Sushil Joshi, Thank you very much Sushil Ji !!!