« »

गीत- अपने ही आंसू…..,

3 votes, average: 3.67 out of 53 votes, average: 3.67 out of 53 votes, average: 3.67 out of 53 votes, average: 3.67 out of 53 votes, average: 3.67 out of 5
Loading...
Crowned Poem, Hindi Poetry

अपने ही आंसुओं के भीगोए हुए हैं,
क्यों इन बरसातों को दोष दें,
अपने ही ग़मों से घायल हैं,
क्यों इन तलवारों को दोष दें,

नहीं,
यह सावन की लगाई आग नहीं है,
हम अपनी ही उम्मीदों के जलाये हुए हैं,
रहीं होगीं आरजुएं कभी यहाँ –
क्यों इन खंडहरों को दोष दें,
                      अपने ही आंसुओं……,

नहीं,
किसी ने नहीं जगाया है हमें कच्ची नींद से,
कई-कई सपने देखने की थकान है यह,
आयें हैं जागी हुई आंखों में भी सपने कई –
क्यों इन नींदों को दोष दें,
                     अपने ही आंसुओं……,

नहीं,
किसी समय के छोड हुए नहीं हैं हम,
पल-दो-पल हम ही ठहर गये थें इन किनारों पर,
देखा होगा समय ने भी हमें पीछे मुड़कर –
क्यों इन शामों को दोष दें,
                       अपने ही आंसुओं……,

नहीं,
यह कांटें चुभाये नहीं है डालियों ने,
कही गई ढेरों बातें हैं कांटें बनी हुई,
पत्थरों में पत्थर हुए हैं हम –
क्यों इन फूलों को दोष दें,
                      अपने ही आंसुओं……,

नहीं,
बहारों की कोई स्मृति नहीं है अब कोई,
हम ही विस्मृत हुए हैं इन फूलों के बीच,
भूले हम ही नहीं हैं वो कथाएँ –
क्यों इन स्मृतियों को दोष दें,

अपने ही आंसुओं के भीगोए हुए हैं,
क्यों इन बरसातों को दोष दें,
अपने ही ग़मों से घायल हैं,
क्यों इन तलवारों को दोष दें.
     ————-
-नीरज गुरु “बादल”,
                 भोपाल.

21 Comments

  1. Vishvnand says:

    वाह वाह, क्या बात है
    अति सुन्दर, शानदार
    खूबसूरत अर्थ और भावों से परिपूर्ण
    बड़ी लुभावनी रचना …
    हार्दिक अभिनन्दन और share करने के लिए बहुत धन्यवाद.
    .
    काफी दिनों बाद आप अपनी कविता के साथ
    p4poetry पर हमें मिलते हैं
    बहुत आनंद है पर इस दूरी के लिए
    क्यूँ हमारे सिवा हम किसीको दोष दें ….

  2. Ravi Rajbhar says:

    बहुत सुंदर ……….. सर जी ,
    भावपूर्ण यह गीत ….कई बार पढ़ा फिर भी दिल नहीं भरा .
    बहुत -२ बधाई 🙂

  3. chandan says:

    छा गए बादल

  4. prachi sandeep singla says:

    nice 🙂

  5. renu rakheja says:

    वाह ,बहुत खूब – पढके बहुत आनंद आया

  6. Harish Chandra Lohumi says:

    बहुत सुन्दर गीत !
    गीत की ताजपोशी (Crown) की हार्दिक बधाई नीरज जी !!!

  7. dr.paliwal says:

    Bahut hi sundar geet…..

  8. neeraj guru says:

    आप सभी सुधी पाठकों का धन्यवाद्.अपना यही प्यार बनाये रखिए.

  9. parminder says:

    बहुत दिन बाद आपकी रचना को पढने का अवसर मिला, बहुत आनंद आया| अति सुन्दर!

  10. P4PoetryP4Praveen says:

    14 दिसंबर 2008 को आप पहले ही यह रचना यहाँ पोस्ट कर चुके हैं…

    कुछ समझ नहीं आया कि आपने एक ही रचना को दो बार क्यूँ पोस्ट किया है…

    और आपको दोनों पर ही क्राउन मिला है…

    p4p पर क्राउन ghotala…hahaha 😉 🙂

    Usse bhi hairat ki baat yah ki kisi ne bhi is baat par gaur नहीं किया और आँखें बंद करके comment kiye jaa rahe hain… 🙂

    • Vishvnand says:

      @P4PoetryP4Praveen
      आपने अपने कमेन्ट में observe की हुई बात में कुछ अर्थ है पर जिस तरह .आपने इसे लिखा है वह बहुत अनुचित है.

      यह मंच अपनी कवितायें share करने का मंच है. नए नए Members add होते रहते हैं. अगर कोई कविता जो आपने शायद एक वर्ष से ज्यादा पहले पोस्ट की है उसे फिर से पोस्ट करना नए members के साथ share करने, ये कोई जुर्म तो नहीं है .
      हाँ अगर पोस्ट करते समय बता दें की ये पहले पोस्ट की हुई है तो ज्यादा उचित .

      अगर कोई Crown worthy कविता गर एक साल बाद पोस्ट करने पर फिर crown worthy ठहराई जाती है तो इसमें crowning system की consistency ही नज़र आती है, ये क्या बुरी बात है .

      यहाँ रोज़ इतनी नयी नयी कवितायें पोस्ट की जाती हैं कि हर पढी कविता को भावार्थ और title से याद रखना मुश्किल बात है. मुझे तो कितनी सारी मेरी अपनी कविताओं के title और भावार्थ याद नहीं हैं तो औरों की कविताओं के बारे में क्या. आपको भी ऐसा अनुभव रहा होगा. इसमें हैरत की बात क्या और आँखे बंद कर के कमेन्ट किया ये कहना आपको नही लगता ये आपका एक अनुचित damaging हीन अर्थ सा remark है.

      अब मुझे आपसे ये जानने की उत्सुकता है कि इतना समय निकाल और तकलीफ लेकर यह investigation कर ऐसे कमेन्ट के लिए आप क्यूँ प्रवृत हुए. 🙂

      • P4PoetryP4Praveen says:

        @Vishvnand, @Vishvnand, दादा, मेरी लिखी हुई बात में ही अर्थ छुपा है…आप तो उस स्तर तक पहुँच चुके हैं कि आपको इन बातों से कोई फ़र्क़ पड़ना ही नहीं चाहिए…

        नीरज जी तो मेरे बड़े भाई जैसे हैं…इतना हँसी-मज़ाक़ तो चलता है…theater भी हम एक ही ग्रुप “प्रयोग” से किये हुए हैं… 🙂

        मैंने तो बहुत ही हल्के-फुल्के अंदाज़ में अपनी बात कही है…इसे अन्यथा ना लें…

        और ये ऑनलाइन माध्यम है, यहाँ सारी रचनाएँ सुरक्षित रहती हैं…हमें दोबारा पोस्ट करने की कोई आवश्यकता महसूस नहीं होनी चाहिए…और मुझे अपनी लिखी हर रचना एवं शब्द याद रहते हैं…

        और हाँ मैं बहुत ही कम समय दे पाता हूँ इस मंच को…तभी तो दादा आपकी तरह नहीं लिख पाता…प्रयास करूँगा कुछ और समय दे पाऊँ…

        और मुझे सिर्फ़ २ मिनट लगे थे ये investigation करने में…

        दादा, चाहे आप मुझसे कुछ भी कहें…लेकिन मैं आपका सम्मान करता हूँ…और करता रहूँगा… 🙂

        • P4PoetryP4Praveen says:

          @P4PoetryP4Praveen, इस कमेन्ट पर की गयी मेरी प्रतिक्रिया को अभी तक पेंडिंग क्यूँ रखा गया है? यह समझने में मैं असमर्थ हूँ… 🙁

          • P4PoetryP4Praveen says:

            @P4PoetryP4Praveen, चलिए फिर से कमेन्ट किये देता हूँ….

            2011/01/11 at 6:08 pm, दादा, मेरी लिखी हुई बात में ही अर्थ छुपा है…आप तो उस स्तर तक पहुँच चुके हैं कि आपको इन बातों से कोई फ़र्क़ पड़ना ही नहीं चाहिए…

            नीरज जी तो मेरे बड़े भाई जैसे हैं…इतना हँसी-मज़ाक़ तो चलता है…theater भी हम एक ही ग्रुप “प्रयोग” से किये हुए हैं…

            मैंने तो बहुत ही हल्के-फुल्के अंदाज़ में अपनी बात कही है…इसे अन्यथा ना लें…

            और ये ऑनलाइन माध्यम है, यहाँ सारी रचनाएँ सुरक्षित रहती हैं…हमें दोबारा पोस्ट करने की कोई आवश्यकता महसूस नहीं होनी चाहिए…और मुझे अपनी लिखी हर रचना एवं शब्द याद रहते हैं…

            और हाँ मैं बहुत ही कम समय दे पाता हूँ इस मंच को…तभी तो दादा आपकी तरह नहीं लिख पाता…प्रयास करूँगा कुछ और समय दे पाऊँ…

            और मुझे सिर्फ़ २ मिनट लगे थे ये investigation करने में…

            दादा, चाहे आप मुझसे कुछ भी कहें…लेकिन मैं आपका सम्मान करता हूँ…और करता रहूँगा… 🙂

            • Vishvnand says:

              @P4PoetryP4Praveen
              What you mean in the last line, I am afraid, seems contradictory to the reply given by you to my clarifying comment.
              But that apart
              I reproduce your basic comment here which please re-read
              14 दिसंबर 2008 को आप पहले ही यह रचना यहाँ पोस्ट कर चुके हैं…
              कुछ समझ नहीं आया कि आपने एक ही रचना को दो बार क्यूँ पोस्ट किया है…
              और आपको दोनों पर ही क्राउन मिला है…
              p4p पर क्राउन ghotala…hahaha 😉 🙂
              Usse bhi hairat ki baat yah ki kisi ne bhi is baat par gaur नहीं किया और आँखें बंद करके comment kiye jaa rahe hain… 🙂
              Now read my reply to this comment”
              I think you have not at all understood the very meaning and intent of my reply, if one reads the reply you have given here.
              There is no where an indication that you happen to be a close friend of Neeraj ji, if fact it appears otherwise. Also the remarks made by you do not appear to be in good taste but appear foul taunts, like mockery of the system. I hope I have made myself clear and request you to be more polite in pointing out you observations (without jumping to erroneous conclusions) so that they appear of assistance for improvement and not derogatory…

              I must say, not 2 minutes, but I have taken quite some time for making these observations & replies to you.

              • P4PoetryP4Praveen says:

                @Vishvnand, दादा, पता नहीं क्यूँ इस ज़रा सी बात को आप इतना तूल दे रहे हैं…

                रही 2 मिनट वाली बात…तो वो मैंने नीरज जी की रचना के repetation वाली बात के लिए कहा था…न कि मैं जो मन में आये वो लिख देता हूँ…मैं भी बहुत सोच-समझकर ही लिखता हूँ…और मेरा यही प्रयास होता है कि किसी को बुरा न लगे इस प्रकार हल्के-फुल्के अंदाज़ में लिख दिया जाये…

                क्या आप चाहते हैं कि मैं भविष्य में सिर्फ़ सभी की प्रशंसा ही करता रहूँ? कोई बात ग़लत लगे तो चुप रहूँ?

                Last line से भी मेरा तात्पर्य अत्यंत स्पष्ट था, ताकि कहीं आप मेरी प्रतिक्रिया को अन्यथा न लें…(मगर अफ़सोस इस बात का है कि आपने मेरी बातों को ग़लत अर्थ में लिया है)…

                आपको कष्ट देने के लिए क्षमाप्रार्थी हूँ दादा…लेकिन नीरज जी के लिए आपके इतना रक्षात्मक होने की वजह भी नहीं समझ पा रहा हूँ…जबकि नीरज जी स्वयं जानते हैं कि सचमुच यह रचना ग़लती से दोबारा पोस्ट हो गयी है…

                आशा करूँगा आगे इस मुद्दे पर चर्चा न की जाये…और आप भी ग़ुस्सा थूक दें…इतने वरिष्ठ एवं बड़े व्यक्तित्व पर यह शोभा नहीं देता…

                एक बार फिर कहूँगा…इस मंच पर पारदर्शिता होनी चाहिए और सभी को अपनी बात कहने हा अधिकार होना चाहिए…क्यूँकि यह शौकिया कवियों का मंच है…

                आदर सहित,
                आपका प्रवीण

                • Vishvnand says:

                  @P4PoetryP4Praveen
                  From your reply I can understand that I have been unsuccessful in conveying to you my point of view in this matter. Let it be so.

                  A polite comment even if it is erroneous or critical is not hurting and would generally receive a polite response.
                  But an impolite comment even if it is correct or right in the understanding of the commenter can not be assured of a reply which would not criticize him for impoliteness. And it is generally always the first impolite comment which starts the chain and is the culprit in a sense..

                  • P4PoetryP4Praveen says:

                    @Vishvnand, Dada, you haven’t been unsuccessful at all. I got it. I’ll try to be more polite. But I would love to see the proper action against that kind of things. I want to see transparency on this platform. Everyone should be treated in same way who break rules. And then I’ll be fully satisfied.

                    Regards,
                    Praveen

Leave a Reply