« कवि और कविता का संवाद – भूत से वर्त्तमान तक | *****धड़कन मैं बसकर खुलके हवा दे दो » |
शादी ….!
Hindi Poetry, Uncategorized |
शादी ….!
करो ना करो
पछताना ही होता
आगे या बाद ….
सुखी नहीं थे
जब न हुई शादी
अब दुखी हैं ….
शादी की बला
कोई न समझेगा
शादीशुदा भी….
शादी की फिक्र
क्यूँ करते रहते
दूजों के लिए …..
कैसा चला है
क्यूँ पूछते रहते
शादी के बाद ….
शादी की है
तो कहना सब को
दोनों सुखी हैं …..
लोगों का क्या है
हँसेंगे तुमपर
कहो जो सच …. 🙂
— xxx —
सही कहा आपने विश्वनंद जी..शादी करो तो मरे न करो तो मरे
ईसलिए बेहतर है के शादी करो और खुश रहने की कोशिश करते रहो..
लोगों को हँसने का मौका देना अपनी मुर्खता ही दिखाता है
बहुत ही खुबसूरत अंदाज़ में हलके फुल्के तरीके से आपने इतनी गहरी बात समझाई दी..
शुक्रिया इतनी प्यारी कविता हमारे साथ शेयर करने क लिए
@KasaK….Dil ki
रचना पर आपकी प्रतिक्रिया और उसमे विदित अर्थपूर्ण विचारों के लिए आपको बहुत बहुत धन्यवाद. आपने की हुई रचना की प्रशंसा के लिए भी स-ह्रदय आभार
लोगों का क्या है
हँसेंगे तुमपर
कहो जो सच –bilkul theek sir–kuch to log kahenge logo ka kaam hai kalna -chodo in beekaar ki baato ko shaadi kar aur sahan kar jo bhi tujhe pade hai sahana .– sunder rachna hasati gudgudati
@rajiv srivastava
प्रतिक्रिया के लिए हार्दिक शुक्रिया.
आपने फिल्म “अमर प्रेम” की याद दिला दी. उसमे तो वो बेचारा बिना शादी के दुखी था. 🙂
शादी की बला
कोई न समझेगा
शादीशुदा भी….
@Harish Chandra Lohumi
हाँ, शादीशुदा लोग भी बिन समझे ही सलाह देते है ” शादी कर लो फिर समझोगे शादी क्या बला है”
@Vishvnand,
Sir, idhar bhi kya ye dil maange more ? naa baabaa naa !!! ek hii bahut hai !!!
sadi karke bhi fash jaate hai nahi karte to tadp jaate hai…jai shree krishna bhut khoob likha sir aap ne
@Kishan
कमेन्ट के लिए बहुत शुक्रिया.
बताइये तो सही, आप कैसे हैं; फंसे हुए हैं,. तड़फ रहे हैं या दोनों जो भी इक category है ..? 🙂
शादी की बेला
मात्रा को खाने वाली
बला तो नहीं !
सुन्दर !!! बधाई !!!
@Harish Chandra Lohumi
भई जय हो,
क्या बात कही सही
बेला औ बला
शादी की बेला
पश्चात पड़े पाला
शादी की बला
aadrneey bndhu umr ke anubhv ka pitra khoob khola hai
shadi to aisa lddu hai jo khayega vo bhi pchhtayega jo n khayega vo bhi pvhhtayega
Nice haiku style sir.
अच्छी रचना शादी पर
सब सोच रहे बर्बादी पर
न करते वो शादी गर
न बढती आबादी घर-घर
सोच में डाल दिया सर…………..